टेस्ट मैचों में सचिन तेंदुलकर की कमी भविष्य में भी खलेगी

टेस्ट मैचों में सचिन तेंदुलकर की कमी भविष्य में भी खलेगी

टेस्ट मैचों में सचिन तेंदुलकर की कमी भविष्य में भी खलेगीनई दिल्ली : क्या भारतीय टीम को भविष्य में सचिन तेंदुलकर की कमी खलेगी? इस सवाल का जवाब यदि आंकड़ों का सहारा लेकर खोजा जाए तो फिर यही लगता है कि भारत को कम से कम टेस्ट क्रिकेट में हाल में संन्यास लेने वाले इस स्टार बल्लेबाज की कमी खलेगी।

पिछले 24 वर्षों में भारत ने तेंदुलकर के बिना केवल 17 टेस्ट मैच खेले और इनमें से जो मैच उसने मजबूत टीमों के खिलाफ खेले उनमें उसे जूझना पड़ा। भारत ने इन 17 मैचों में से छह में जीत दर्ज की, चार में उसे हार मिली और सात अन्य ड्रा रहे। इस दौरान भारत ने तेंदुलकर के बिना सर्वाधिक सात टेस्ट मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले जिसके खिलाफ उन्होंने अपना आखिरी और 200वां टेस्ट मैच खेला था।

सचिन अपने करियर के दौरान चोटों के कारण ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान और जिम्बाब्वे के खिलाफ भी नहीं खेल पाए लेकिन इस दौरान भारत ने इंग्लैंड (32 मैच), न्यूजीलैंड (24 मैच) और बांग्लादेश (सात मैच) के खिलाफ जितने भी मैच खेले उनमें मास्टर ब्लास्टर ने शिरकत की।

सचिन ने 15 नवंबर 1989 को टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण के बाद लगातार 84 मैच खेले। वह पहली बार अगस्त 2001 में टेस्ट मैचों भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाये थे। तेंदुलकर अपने दायें पांव के अंगूठे में हेयरलाइन फ्रैक्चर के कारण श्रीलंका दौरे में तीन टेस्ट मैच नहीं खेल पाये थे। भारत को इस सीरीज में तेंदुलकर की बहुत कमी खली थी क्योंकि टीम गाले और कोलंबो में पहले और तीसरे टेस्ट मैच में क्रमश: दस विकेट और पारी व 77 रन के बड़े अंतर से हार गई थी। इस बीच हालांकि कैंडी में खेले गए दूसरे मैच में भारत ने सात विकेट से जीत दर्ज की थी।

भारत इसके बाद चेन्नई में अगले टेस्ट मैच में भी तेंदुलकर के बिना उतरा था लेकिन वह उस मैच को ड्रॉ कराने में सफल रहा। जिम्बाब्वे 2005 के दौरे में भी तेंदुलकर ने नहीं खेल पाए थे। इस दौरे के बाद ही ग्रेग चैपल और सौरव गांगुली के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए थे जिससे जाहिर था कि भारतीय टीम को ड्रेसिंग रूम में भी तेंदुलकर की कमी खली थी।

भारत ने हालांकि बुलावायो और हरारे में खेले गए दोनों मैच आसानी से जीतकर क्लीन स्वीप किया था। अपने चमकदार करियर में तेंदुलकर 2006 में वेस्टइंडीज दौरे पर नहीं जा पाए थे। यह स्टार क्रिकेटर उस समय कंधे की चोट से जूझ रहा था। भारत ने चार टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-0 से जीत दर्ज की थी। एंटीगा, ग्रास आइलेट और सेंट कीट्स में पहले तीन मैच ड्रा छूटने के बाद भारत ने किंग्सटन में चौथा मैच 49 रन से जीता था। पाकिस्तान की टीम 2007 में जब भारतीय दौरे पर आयी तो तेंदुलकर कोलकाता में दूसरे टेस्ट मैच के दौरान चोटिल हो गये थे। घुटने में लगी चोट के कारण वह बेंगलूर में तीसरे मैच में नहीं खेले जो ड्रॉ रहा।

तेंदुलकर कानपुर में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच में भी नहीं खेले थे लेकिन इसमें भारतीय टीम ने आठ विकेट से जीत दर्ज करके अपना सम्मान बचाने में सफल रही थी। इसके बाद तेंदुलकर कभी चोट की वजह से टेस्ट टीम से बाहर नहीं हुए। वह विश्व कप के बाद जून 2011 में वेस्टइंडीज के दौरे पर नहीं गए थे। असल में पहले विश्व कप और फिर आईपीएल के बाद खिलाड़ियों पर थकान हावी थी और तेंदुलकर अपने परिवार के साथ कुछ समय बिताना चाहते थे। तेंदुलकर की अनुपस्थिति में कैरेबियाई दौरे पर गई भारतीय टीम ने तीने मैचों की सीरीज 1-0 से जीती थी। भारत ने किंग्सटन में पहला टेस्ट मैच 63 रन से जीता था। ब्रिजटाउन और रोसेउ में खेले गये दोनों मैच ड्रॉ रहे थे। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, November 19, 2013, 10:48

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