समाजसेवा में भी चैम्पियन हैं सचिन तेंदुलकर

समाजसेवा में भी चैम्पियन हैं सचिन तेंदुलकर

समाजसेवा में भी चैम्पियन हैं सचिन तेंदुलकरनई दिल्ली: क्रिकेट के मैदान पर बेशुमार रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके सचिन तेंदुलकर समाजसेवा में भी पीछे नहीं रहे हैं और पिछले कई साल से मुंबई की झुग्गियों में बच्चों के लिये कार्यरत एनजीओ ‘अपनालय’ से जुड़े हैं।

अपनालय से सचिन का नाता उतना ही पुराना है जितना उनकी पत्नी अंजलि से। दरअसल, अंजलि की मां अनाबेल मेहता ही यह एनजीओ चलाती है और उनसे ही सचिन को इससे जुड़ने की प्रेरणा मिली।

मेहता ने भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा,‘‘सचिन जब से हमारे घर आने लगे, उन्होंने मुझे अपनालय की बैठकों के लिये दौड़ते देखा। अपने पिता के निधन के बाद वह इस संस्था से जुड़े और स्कूल जाने वाले बच्चों के प्रायोजन का जिम्मा लिया।’’

उन्होंने कहा,‘‘ मैंने शायद ही उनसे मदद मांगी हो लेकिन जब भी मदद की जरूरत पड़ी या तो उन्होंने हमें सही लोगों तक पहुंचाया या बल्ले, टिकट नीलामी के लिये दिये या हमारे लिये किसी कार्यक्रम में बोले। उन्होंने पहली मुंबई मैराथन में हमारे लिये भाग लेने पर भी रजामंदी जताई थी लेकिन मुंबई पुलिस ने उन्हें भाग नहीं लेने दिया।’’

मेहता ने कहा,‘‘इस साल सचिन और अपनालय दोनों ने अपनी 40वीं वषर्गांठ मनाई। उम्मीद है कि यह साथ आगे भी बना रहेगा।’’ उन्होंने कहा कि अपनालय के बच्चे सचिन के क्रिकेट को अलविदा कहने से दुखी है लेकिन उन्हें इस चैम्पियन बल्लेबाज का 200वां और आखिरी टेस्ट देखने वानखेड़े स्टेडियम लेने जाने की फिलहाल कोई योजना नहीं है।

मेहता ने कहा,‘‘ मैं उस दिन अपनालय में नहीं थी जब सचिन ने संन्यास का ऐलान किया लेकिन हर क्रिकेटप्रेमी की तरह बच्चे भी दुखी हैं। उन्हें वानखेड़े स्टेडियम ले जाना अद्भुत होता लेकिन फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है ।’’

उन्होंने कहा,‘‘अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण भले ही वह अपनालय ज्यादा नहीं आ पाते लेकिन मदद को हमेशा उपलब्ध रहते हैं। इसके अलावा उनकी मौजूदगी से भीड़ को नियंत्रित करना कठिन हो जाता है खासकर उस भीड़ भरी उस झुग्गी में जहां अपनालय कार्यरत है।’’ मूल रूप से ब्रिटेन की रहने वाली मेहता क्रिकेट की शौकीन है और सचिन को महानतम खिलाड़ियों में मानती है लेकिन उनका कहना है कि वह बेहतरीन इंसान भी है।

उन्होंने कहा, ‘‘सचिन सर्वकालिक महानतम क्रिकेटरों में से है लेकिन मेरे लिये अधिक अहम यह है कि वह बेहतरीन इंसान है। सभी को एक ना एक दिन रिटायर होना है और वह इसके लिये अभी तैयार थे। वह भले ही अब क्रिकेट ना खेले लेकिन बेहतरीन इंसान वह हमेशा रहेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सचिन अपने पिता से काफी प्रभावित रहे हैं और मजबूत पारिवारिक मूल्यों के साथ उनकी परवरिश हुई है। मुझे उनसे बेहतर दामाद नहीं मिल सकता था।’’ (एजेंसी)

First Published: Friday, October 18, 2013, 14:05

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