Last Updated: Monday, February 10, 2014, 16:06
नई दिल्ली : भारत में खेल प्रशासन की दिशा तय करने वाले राष्ट्रीय खेल विधेयक पर खेल मंत्रालय को सर्वसम्मति का इंतजार है और जल्द ही भारतीय ओलंपिक संघ के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों से इस विधेयक पर बात की जायेगी।
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) मुकुल मुद्गल की अध्यक्षता वाले कार्यसमूह ने पिछले साल जुलाई में संशोधित खेल विधेयक का मसौदा खेलमंत्री जितेंद्र सिंह को सौंप दिया था । इसके बाद मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर विधेयक के बारे में प्रतिक्रियायें मांगी थी । विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पेश नहीं किया जा सका और अभी इसे कानून का रूप देने के लिये और सहमति का इंतजार है ।
खेल सचिव अजीत मोहन शरण ने यहां ‘खेल : जीवन की शैली के रूप में’ विषय पर एसोचैम द्वारा आयोजित कांफ्रेंस से इतर भाषा को बताया ,‘‘ खेल विधेयक को कानून का रूप देने में अभी समय लगेगा । हमें इस पर सर्वसम्मति बनने का इंतजार है । हमें आईओसी की प्रतिक्रिया का इंतजार है और अब चूंकि आईओए के चुनाव हो चुके हैं तो हम जल्द ही नये पदाधिकारियों से इस पर बात करेंगे ।’’ यह पूछने पर कि क्या कोई समय सीमा तय की गई है , उन्होंने ना में जवाब दिया । उन्होंने कहा ,‘‘ फिलहाल कोई समय सीमा तय नहीं की जा सकती क्योंकि हमें सभी पक्षों से बात करनी है ।’’ ओलंपिक की व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत को एकमात्र स्वर्ण दिलाने वाले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने कहा कि खेलों के लिये सही माहौल बनाने की दिशा में खेल विधेयक को कानून का रूप देना पहला कदम होगा ।
नीदरलैंड में इंटर शूट त्रिकोणीय श्रृंखला में तीन पदक जीतकर लौटे बिंद्रा ने कहा ,‘‘ मैं उम्मीद करता हूं कि खेल विधेयक जल्दी ही पारित होगा क्योंकि हमने इस पर काफी मेहनत की है । खेलों में बेहतर प्रशासन और सही माहौल बनाने की दिशा में यह पहला कदम होगा । खेलों में कारपोरेट पैसा लाने के लिये बीसीसीआई की तरह पेशेवरपन लाना बहुत जरूरी है ।’’ देश में खेलों के बुनियादी ढांचे के बेहतर इस्तेमाल के लिये कारपोरेट सहभागिता पर जोर देते हुए खेल सचिव शरण ने बेहतर पैकेजिंग को जरूरी बताया ।
उन्होंने कहा ,‘‘ हमारे पास जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, ध्यानचंद हाकी स्टेडियम जैसे कई बेहतरीन स्टेडियम हैं जहां साल भर में 20-25 दिन ही खेल होता है । इनका साल भर इस्तेमाल करने के लिये सिर्फ सरकार या एनएसएफ पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिये । कारपोरेट जगत को आकषर्क पैकेज दिये जा सकते हैं।’’ बीसीसीआई संयुक्त सचिव और भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कारपोरेट जगत से क्रिकेट के अलावा बाकी खेलों के प्रायोजन के लिये भी आगे आने का आग्रह किया ।
उन्होंने कहा ,‘‘ खेल मंत्रालय का सालाना बजट लगभग 800 करोड़ रूपये है और एक अरब 25 करोड़ की आबादी वाले देश में यह प्रति व्यक्ति छह रूपये है जो नाकाफी है । कारपोरेट जगत को क्रिकेट के अलावा दूसरे खेलों के लिये आगे आना होगा । इसके अलावा सभी सांसद यदि अपने कोष से अपने अपने क्षेत्र के लिये एक करोड़ रूपया खेलों पर खर्च करें तो काफी बदलाव आयेगा ।’ (एजेंसी)
First Published: Monday, February 10, 2014, 16:06