Last Updated: Monday, October 7, 2013, 19:52

नई दिल्ली : बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और पूर्व कोषाध्यक्ष रवि सावंत ने भारतीय क्रिकेट की अच्छी छवि पेश करते हुए बोर्ड की सालाना रिपोर्ट में कहीं भी आईपीएल छह के स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण का जिक्र नहीं किया जिससे भारतीय क्रिकेट में हलचल मच गयी थी।
सचिव संजय पटेल के दो पेज के नोट में स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी प्रकरण का मामूली सा उल्लेख किया गया है जिसमें पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी एस श्रीसंत और बीसीसीआई अध्यक्ष के दागी दामाद गुरुनाथ मय्यपन पर शामिल होने का आरोप है।
सालाना रिपोर्ट में डोपिंग रोधी तरीकों और उम्र सत्यापन प्रक्रिया पर पेज हैं लेकिन इसमें भी आईपीएल के पहले भारतीय डोपिंग के दोषी प्रदीप सांगवान के नाम का जिक्र नहीं है जबकि इसमें बताया गया है कि ‘364 अंडर-16 क्रिकेटर उम्र सत्यापन परीक्षण में विफल रहे’।
रिपोर्ट में पूर्व कोषाध्यक्ष सावंत के नोट में पर्याप्त संकेत हैं कि आईपीएल छह के प्रायोजन और टिकट रसीद में पिछले साल की तुलना में गिरावट देखी गयी है।
बीसीसीआई की 128 पेज की सालना रिपोर्ट में तमिलनाडु के श्रीनिवासन ने साल को ‘यादगार और भारतीय क्रिकेट के लिये घटनापूर्ण’ करार दिया है।
हालांकि, रिपोर्ट के तीसरे पेज में अध्यक्ष का नोट है, जिसमें विभिन्न क्रिकेट टीमों सीनियर, ‘ए’ टीम, अंडर-19 और अंडर-23 की उपलब्धियों की काफी तारीफ की गयी है।
श्रीनिवासन ने अपने नोट का समापन यह कहते हुए किया है, ‘आईपीएल अपने छठे वर्ष में क्रिकेट सामग्री और मैचों में दर्शकों की संख्या के तौर पर काफी सफल रहा।’
पटेल ने सचिव की रिपोर्ट (पाचवां और छठा पेज) में कहीं भी ‘स्पॉट फिक्सिंग’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। इसके बजाय पटेल ने लिखा, ‘बीसीसीआई ने आईपीएल छह से निकले संकट का कड़ाई से जवाब दिया। चिंताओं को संबोधित किया गया और इसका निपटारा जारी रहेगा और बीसीसीआई भारत में क्रिकेट खेल को बचाने के लिये जो भी जरूरी होगा, वह करेगा।’
रिपोर्ट में केवल पेज 17 में, जिसमें पूरे साल के दौरान कार्यकारी समिति के फैसले मौजूद हैं, मयप्पन के खिलाफ आरोपों की जांच के लिये एक जांच पैनल के गठित होने का जिक्र है।
दिलचस्प बात है कि जांच पैनल की रिपोर्ट को बम्बई उच्च न्यायालय ने गैरकानूनी करार दिया है। सावंत की रिपोर्ट (पेज 90) के कुछ प्रमुख पहलू।
1 - आईपीएल छह में प्राप्त की गयी आईपीएल प्रायोजन राशि 180 करोड़ रुपये है जबकि आईपीएल पांच में यह 192 करोड़ रुपये थी।
2 - आईपीएल पांच के प्ले आफ मैचों की आय 6.15 करोड़ जबकि आईपीएल छह के प्ले आफ मैचों की आय शून्य है।
3 - आईपीएल छह के टिकट की बिक्री 13 करोड़ रुपये जबकि आईपीएल पांच की 18 करोड़ रुपये है।
4 - वर्ष 2012-13 में विज्ञापन खर्चे 31 करोड़ रुपये तक गये जबकि 2011-12 में ये 11 करोड़ रुपये थे।
5 - आईपीएल छह की कुल राशि 892 करोड़ रुपये थी जबकि आईपीएल पांच में यह 956 करोड़ रुपये थी।
6 - मीडिया अधिकार आय भी मामूली सी बढ़कर आईपीएल छह में 556 करोड़ रुपये हो गयी जबकि यह आईपीएल पांच में 533 करोड़ रुपये थी।
7 - फ्रेंचाइजी से मिलने वाली राशि आईपीएल छह में घटकर 460 करोड़ रुपये हो गयी जो आईपीएल पांच में 613 करोड़ रुपये थी।
8 - बैंक ब्याज की राशि 2011-12 में 102 करोड़ रुपये थी जो 2012-13 में घटकर 85 करोड़ रुपये हो गयी।
कारण : बीसीसीआई को ‘फिक्सड डिपाजिट’ तोड़कर कर के तौर पर 340 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा।
9 - मौजूदा वित्तीय वर्ष 2013-14 में सरप्लस बजट 389 करोड़ रुपये का है।
10 - अंपायर और खिलाड़ियों का परोपकार कोष कार्यकारी समिति की सिफारिशों के अंतर्गत खत्म कर दिया गया। सालाना रिपोर्ट के पेज 113 में बीसीसीआई की नीतियों और डोपिंग रोधी व उम्र सत्यापन नीतियों के संबंध में उठाये गये कदमों के बारे में बताया गया है।
इसमें आईपीएल छह के दौरान 10 स्थलों (टूर्नामेंट के दौरान और टूर्नामेंट से इतर) पर 67 खिलाड़ियों के 82 मूत्र के नमूने एकत्रित करने का जिक्र है। लेकिन कहीं भी केकेआर के तेज गेंदबाज सांगवान का नाम शामिल नहीं है जिन्हें प्रदर्शन बढ़ाने वाले पदार्थ स्टैनजोलोल का इस्तेमाल करने का दोषी पाया गया था। (एजेंसी)
First Published: Monday, October 7, 2013, 19:52