Last Updated: Saturday, November 16, 2013, 15:04

मुंबई : शनिवार की सुबह 11 बजकर 47 मिनट पर सचिन रमेश तेंदुलकर ने आंखों में नमी के साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा। ठीक चौबीस बरस पहले शुरू हुआ सफर थम गया जिसमें उन्होंने 200 टेस्ट, 463 वनडे और एकमात्र टी20 मैच खेलकर 34? 357 अंतरराष्ट्रीय रन बनाये। कल की तरह वानखेड़े स्टेडियम आज खचाखच भरा नहीं था लेकिन मैदान पर कम से कम 25000 दर्शक थे।
आम तौर पर अपने जज्बात जाहिर नहीं करने वाले सचिन उस समय आंसू नहीं रोक पाये जब साथी खिलाड़ियों ने उन्हें सोवेनियर स्टाम्प भेंट किया। आंसू पोछते हुए वह ड्रेसिंग रूम की ओर रवाना हुए लेकिन दर्शकों का हाथ उठाकर अभिवादन किया और सीमारेखा के पास कैरेबियाई खिलाड़ियों से हाथ मिलाया। दर्शकों में जज्बात हिलोरे मार रहे थे और यही हाल प्रेस बाक्स का भी था । सचिन कुछ देर बाद अपनी पत्नी अंजलि, बच्चों सारा और अर्जुन के साथ फिर मैदान पर आये।
कुछ स्मृति चिन्ह लेने के बाद तेंदुलकर ने अपने मर्मस्पर्शी भाषण में 24 साल के करियर में योगदान देने वाले सभी लोगों को धन्यवाद दिया। टीवी कैमरों में उनके चेहरे के हर भाव को कैद करने की होड़ लगी थी। महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली ने उन्हें अपने कंधे पर बिठा लिया। सचिन ने हाथ में तिरंगा लेकर मैदान का चक्कर काटा। वह आखिरी बार मैदान पर आये और 22 गज की पिच को स्पर्श किया। पूरे समय परिवार उनके साथ था।
सभी को पता था कि यह पल आज आना है लेकिन दिल से सभी दुआ कर रहे थे कि यह पल आये ही नहीं। कइयों ने काले चश्मों में अपने आंसू भी छिपा लिये। अस्सी और नब्बे के दशक में बड़ी हुई पीढी के लिये सचिन तेंदुलकर के जादू से अछूता रह पाना नामुमकिन था। उससे पहले की पीढी के लिये सुनील गावस्कर से उनकी तुलना से बचना उतना ही मुश्किल था। वीवीएस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले, सौरव गांगुली जैसे महान खिलाड़ी आये लेकिन नाटे कद के बांद्रा के इस चैम्पियन की महागाथा में सहनायक बनकर रह गए।
कपिल देव और सुनील गावस्कर चुपचाप अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से विदा हो गई। इसी तरह द्रविड़ और लक्ष्मण भी रिवायती प्रेस कांफ्रेंस में यह घोषणा करके चले गए। गांगुली और कुंबले को विदाई मिली लेकिन इस तरह की नहीं। सचिन के साथ उपमायें कम पड़ जाती हैं। सचिन अब क्रिकेट नहीं खेलेंगे लेकिन मैदान पर उनकी यादें हमेशा हमारे जेहन में रहेंगी। कोई दूसरा सचिन तेंदुलकर हो नहीं सकता क्योंकि अब ऐसे क्रिकेटर पैदा ही नहीं होते। (एजेंसी)
First Published: Saturday, November 16, 2013, 15:04