Last Updated: Tuesday, October 8, 2013, 16:52
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली दुष्कर्म मामले में फांसी की सजा का सामना कर रहे दो दोषियों के खिलाफ पेशी वारंट जारी कर उन्हें बुधवार को अदालत में पेश करने के लिए कहा है। उच्च न्यायालय फांसी की सजा पर पुष्टि की सुनवाई कर रहा है।
मामले में सजा पाए चार में से दो दोषियों -मुकेश और पवन गुप्ता- के वकील ने पैरवी करने से मना कर दिया, जिसके बाद न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल और न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी ने दोनों के खिलाफ पेशी वारंट जारी किया है।
ज्ञात हो कि वर्ष 2012 में 16 दिसंबर की रात एक चलती बस में 23 वर्षीया ट्रेनी फीजियोथेरेपिस्ट के साथ एक किशोर सहित छह आतताइयों मिलकर क्रूरता पूर्वक दुष्कर्म किया था। आरोपियों ने दुष्कर्म के बाद महिला और उसके पुरुष साथी को नग्न हालत में चलती बस से फेंक दिया था। घायल युवती की इलाज के दौरान सिंगापुर में 29 दिसंबर को मौत हो गई।
छह आरोपियों में से एक सुनवाई अवधि में तिहाड़ जेल में फंदे पर झूलता पाया गया था। मामले के किशोर आरोपी को किशोर न्याय बोर्ड ने 31 दिसंबर को किशोर कानून के तहत अधिकतम सजा देते हुए तीन वर्ष सुधार गृह में रखने का आदेश दिया था।
मुकेश के वकील वी. के. आनंद ने पीठ को बताया कि आरोपी के परिवार के लोग उनके कामकाज में हस्तक्षेप करते हैं इसलिए वह पैरवी नहीं कर सकते। उन्होंने अदालत से मामले से अलग करने का अनुरोध किया।
अतिरिक्त लोक अभियोजक दयान कृष्णन ने भी अदालत को बताया कि पवन गुप्ता के वकील विवेक शर्मा ने भी फोन पर बताया कि वह मामले में पवन की पैरवी नहीं करेंगे।
दोनों वकीलों के हटने के बाद अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति में हमें एक एमिकस की नियुक्ति करनी होगी, जो हमारी मदद कर सके। आनंद ने एमिकस के लिए इच्छा जताई, लेकिन अदालत ने कहा कि ऐसा करना अनुचित होगा। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, October 8, 2013, 16:52