एक महिला को पति के देहांत के 50 साल बाद मिला पेंशन

एक महिला को पति के देहांत के 50 साल बाद मिला पेंशन

केंद्रपाड़ा : ओड़िशा के केंद्रपाड़ा में एक वृद्ध महिला को करीब आधी सदी तक इंतजार करने के बाद पारिवारिक पेंशन मिला है। सतहत्तर साल की हरप्रिया देवी के पति जानकीनाथ नंदा चौधरी सन् 1962 में भुवनेश्वर के बीजेबी कॉलेज में अंग्रेजी विभाग में बतौर व्याख्याता नौकरी करते हुए गुजर गए थे। अब जाकर पिछले महीने उन्हें पेंशन मिला। हरप्रिया देवी ने अपने पति को याद करते हुए कहा कि उनके पति 3 जून, 1962 को कटक के जोबरा में महानदी में डूबकर मर गए थे। उससे पहले चौधरी ने ओड़िशा के इस प्रतिष्ठित कॉलेज में 1954 से 1962 तक अपनी सेवा दी थी।

उन्होंने कहा, वह 29 साल की उम्र में चल बसे। मैं तब 26 साल की थी। मुझे दो बच्चों का देखभाल करना था। मैंने उनके पालन पोषण के लिए शिक्षक की नौकरी कर ली थी। मैंने तब ही पेंशन का दावा किया था। सेवानिवृत शिक्षिका ने कहा कि वह पेंशन पाने के लिए दर दर भटकती रहीं लेकिन प्रशासन के कान पर जूं नहीं रेंगा।

उन्होंने कहा, मैं हर साल उच्च शिक्षा निदेशालय जाती थी। लेकिन सब व्यर्थ रहा। सरकारी रूख यह था कि मैं पारिवारिक पेंशन योजना की हकदार नहीं हूं क्योंकि इस योजना के लिए दस साल की नौकरी मेरे पति पूरी नहीं कर पाए थे। लेकिन हरप्रिया देवी ने सरकार की लाल फीताशाही से हार नहीं मानीं। साहसी महिला ने पत्र लिखे और कहा कि ओड़िशा पेंशन नियमावली संशोधित कर दी गयी है और 68.69 पेंशन गजट अधिसूचना का कहना कि राज्य सरकार के जो कर्मचारी जनवरी, 1965 को या उससे पहले सेवानिवृत या मर गए उनके परिवार पेंशन प्रदान किया जाए।

उन्होंने कहा, अंतत: अधिकारियों ने उनके दावे पर सहमति की मुहर लगायी। उनके लिए 6000 रूपए मासिक पेंशन मंजूर की जो उनके पति की मौत के समय उनकी तनख्वाह 340 रुपए प्रति माह से काफी अधिक थी। इसके अलावा उन्हें 6.7 लाख रूपए बकाया भी दिया गया। इस संबंध में जब राज्य के शिक्षा मंत्री बद्री नारायण पात्रा से पूछा गया तो उन्होंने कहा, हमें यह जानकर खुशी हुइ कि कॉलेज व्याख्याता की विधवा को उनका हक मिल गया। (एजेंसी)

First Published: Saturday, October 5, 2013, 17:54

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