Last Updated: Tuesday, November 26, 2013, 23:29

गाजियाबाद : न्यायाधीश श्यामलाल ने आरुषि और घरेलू सहायक हेमराज की हत्या मामले में राजेश तलवार और नूपुर तलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए 26 कारण रेखांकित करते हुए मंगलवार को कहा कि निश्चित तौर पर कोई सीधा सबूत नहीं है, लेकिन सीबीआई ने ‘ठोस परिस्थितिजन्य सबूत’ रखे हैं जिसके आधार पर तलवार दम्पति को हत्या मामले में दोषी ठहराया गया है।
210 पृष्ठों के फैसले में 26 परिस्थितियों का उल्लेख किया गया है जिसके आधार पर दंपति को दोषी ठहराया गया है। फैसले में कहा गया कि अभियोजन पक्ष ने मौखिक और दस्तावेज के रूप में जो सबूत रखे उससे अदालत इस प्रबल और त्रुटिहीन निष्कर्ष पर पहुंचा है कि दोनों आरोपी व्यक्ति ही इस अपराध को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि निम्न परिस्थितियां आरोपियों के अपराध की परिकल्पना की ओर इंगित करती हैं।
पहला यह कि तलवार के चालक उमेश शर्मा ने 15 और 16 मई 2008 की दरमियानी एवं उस दुर्भाग्यपूर्ण रात से पहले आरोपियों को दोनों पीड़ितों के साथ जलवायु विहार के फ्लैट नम्बर एल-32 में रात साढ़े नौ बजे आखिरी बार देखा था। दूसरा, यह कि 16 मई 2008 को सुबह करीब छह बजे आरूषि आरोपियों के शयनकक्ष के बगल स्थित अपने शयनकक्ष में मृत मिली थी और दोनों कमरों के बीच सिर्फ एक दीवार ही थी।
तीसरा नौकर हेमराज का शव 17 मई 2008 फ्लैट नम्बर एल-32 की छत पर मिला था जिसके चारों ओर खून फैला हुआ था। छत का ताला अंदर से बंद मिला।
नोएडा दोहरे हत्याकांड मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने अपने आदेश में कहा कि तलवार दंपति के घर में 15 और 16 मई 2008 की रात को बलपूर्वक बाहर से किसी के प्रवेश करने के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं जब आरूषि और नौकर हेमराज की हत्या हुई थी। आरूषि के माता पिता राजेश और नुपूर तलवार को हत्या का दोषी ठहराते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्याम लाल ने कहा कि कोई भी बाहरी व्यक्ति हेमराज के शरीर को अत्यंत घाायल अवस्था में को छत पर ले जाने और फिर ताला ढूंढ कर लगाने की जुर्रत नहीं कर सकता था।
30 नवंबर को सेवानिवृत होने जा रहे न्यायाधीश ने कहा कि ऐसा संभव नहीं कि हत्या करने के बाद कोई भी बाहरी व्यक्ति ‘स्काच, व्हिस्की’ निकालने का साहस कर सकता और तब जब उसे मालूम हो कि तलवार दंपति पास के कमरे में ही हैं। उसकी पहली प्राथमिकता अपराध करने के बाद भागने की होगी। न्यायाधीश ने कहा कि जिस तरह से हत्या को अंजाम दिया गया है, वह एक आरोपी का काम नहीं है बल्कि हत्या करने और साक्ष्य मिटाने का काम दोनों आरोपियों ने साझा इरादे से किया जो परिस्थिति और तथ्य से स्पष्ट है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 26, 2013, 22:01