Last Updated: Thursday, October 24, 2013, 23:36
गाजियाबाद : राजेश और नूपुर तलवार द्वारा ‘अचानक गुस्से’ में आरूषि और हेमराज की हत्या किये जाने की सीबीआई की कहानी को ‘पूरी तरह से आधारहीन’ बताते हुए बचाव पक्ष के वकील ने आज यहां सीबीआई अदालत में कहा कि यह साबित करने का कोई सबूत नहीं है कि हेमराज की हत्या आरूषि के कमरे में हुई थी।
बचाव पक्ष की अंतिम दलीलों के पहले दिन, तलवार दंपति के वकील तनवीर अहमद मीर ने अदालत से कहा कि सीबीआई की ‘अचानक गुस्से’ में आकर हत्या किये जाने की कहानी गुजरात फारेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के निदेशक महेंद्र सिंह दहिया की रिपोर्ट पर आधारित है।
वकील ने कहा कि तलवार दंपति पर सीधे तौर पर उंगली उठाने वाली सिंह की रिपोर्ट पूरी तरह से आधारहीन है और यह तलवार दंपति को फंसाने के लिए तैयार की गई है। मीर ने दावा किया कि दहिया कभी भी घटनास्थल पर नहीं गये लेकिन उन्होंने राजेश और नूपुर तलवार के खिलाफ रिपोर्ट तैयार कर दी। उन्होंने कहा कि दहिया ने अपराध के स्थल और मृतक से संबंधित 14 तस्वीरों के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार की।
उन्होंने कहा कि दहिया ने अभियोजन पक्ष के 161 गवाहों, आरूषि के शव का पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर सुनील डोहरे और इस मामले के जांच अधिकारी के बयानों पर भी गौर किया। सीबीआई द्वारा 2009 में अनुरोध करने पर दहिया जांच में शामिल हुए थे। मीर ने कहा कि दहिया की रिपोर्ट के अनुसार, अपराध ‘अचानक गुस्से’ के कारण हुआ।
दहिया ने अदालत में कहा था कि अपराध संभवत: गोल्फ क्लब और सर्जिकल चाकू की मदद से किया गया और तलवार दंपति के अलावा कोई बाहरी व्यक्ति इस हत्या में शामिल नहीं है। दहिया ने कहा था कि आरूषि और हेमराज की हत्या आरूषि के बिस्तर पर की गई। मीर ने अदालत से कहा कि दहिया ने 26 अक्तूबर 2009 को अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें कहा गया कि आरूषि और हेमराज के खून के दो छींटे आरूषि के बिस्तर की पिछली दीवार पर पाये गये।
मीर ने दावा किया कि हेमराज का खून, डीएनए, जैविक पदार्थ और फिंगर प्रिंट कुछ भी आरूषि के कमरे में नहीं पाया गया और उन्होंने कहा कि हेमराज की हत्या आरूषि के कमरे में नहीं हुई। बचाव पक्ष की दलीलें शुक्रवार को जारी रहेंगी। (एजेंसी)
First Published: Thursday, October 24, 2013, 23:36