दिल्‍ली: बीजेपी का सरकार बनाने से इंकार, उपराज्यपाल ने `आप` को बुलाया

दिल्‍ली: बीजेपी का सरकार बनाने से इंकार, उपराज्यपाल ने `आप` को बुलाया

दिल्‍ली: बीजेपी का सरकार बनाने से इंकार, उपराज्यपाल ने `आप` को बुलायाज़ी मीडिया ब्‍यूरो

नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी, लेकिन बहुमत से चूकी भारतीय जनता पार्टी ने गुरुवार को सरकार बनाने से इनकार कर दिया, जिससे राष्ट्रीय राजधानी में दोबारा चुनाव की संभावना बढ़ गई है।

इस बीच, दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली में सरकार बनाने की संभावनाओं पर विचार के लिए आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को शनिवार को बातचीत के लिए बुलाया है, जिनकी पार्टी के 28 विधायक हैं और जो दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। ऐसी संभावना है कि बहुमत की कमी बताकर आप भी सरकार बनाने से इंकार कर देगी।

इससे पूर्व उपराज्यपाल के साथ मुलाकात के बाद भाजपा के मुख्यमंत्री पद के दावेदार हर्ष वर्धन ने कहा कि दिल्ली की जनता द्वारा स्पष्ट बहुमत नहीं दिए जाने के कारण भाजपा विपक्ष में बैठना पसंद करेगी। उपराज्यपाल ने हषर्वर्धन को दिल्ली में सरकार के गठन की संभावनाओं का पता लगाने के प्रयासों के तहत बुलाया था। वर्धन ने संवाददाताओं से कहा कि चूंकि भाजपा दिल्ली चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है इसलिए उपराज्यपाल ने सरकार के गठन के बारे में विचार विमर्श के लिए बुलाया था। हमने उन्हें बताया कि हमारे पास स्पष्ट बहुमत के लायक सीटें नहीं हैं इसलिए पार्टी विपक्ष में बैठना पसंद करेगी।

वर्धन ने उपराज्यपाल को एक पत्र भी दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि लोगों ने भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी बनाकर अपना समर्थन दिया हालांकि ऐसी स्थिति में जब हमें स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया है, हम पार्टी की उच्च नैतिक परंपराओं का पालन करते हुए विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे। पत्र में उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता की मुख्य परेशानी कांग्रेस का कुशासन और उद्देश्यहीन नीतियां हैं। लोगों की समस्याओं को सुनने की बजाय कांग्रेस सरकार ने उनपर ध्यान ही नहीं दिया। इसलिए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पराजय मिली और पार्टी केवल आठ सीटों पर सिमट गई।

पत्र के अनुसार, उनकी नेता भी अपनी सीट हार गईं। हम विधानसभा चुनाव के बाद दिल्ली के लोगों के चेहरों पर मुस्कुराहट देखना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका क्योंकि हम चार सीटों से बहुमत से चूक गए। मीडिया के साथ अपने संवाद में वर्धन ने कहा कि भाजपा खरीद फरोख्त में नहीं पड़ेगी क्योंकि वह ईमानदारी की राजनीति पर भरोसा करती है। राजनीति ईमानदारी से होनी चाहिए। हमारे लिए विपक्ष में बैठना और लोगों की सेवा करना बेहतर होगा। यह पूछे जाने पर कि क्या वह आप को समर्थन देंगे, वर्धन ने कहा कि आप को समर्थन देने की बात ही कहां उठती है क्योंकि पार्टी पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वह न तो किसी को समर्थन देगी और न ही किसी का समर्थन लेगी।

गौर हो कि भाजपा को उसके सहयोगी अकाली दल की एक सीट मिलाकर 70 सदस्यीय विधानसभा में 32 सीटें मिली हैं, जबकि आम आदमी पार्टी को 28 सीटें हासिल हुई हैं। कांग्रेस की आठ सीटें हैं और जदयू को एक सीट पर जीत हासिल हुई है, जबकि मुंडका सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहा। वर्धन ने कहा कि अगर कोई अन्य पार्टी सरकार बनाना चाहती है तो वह उसका स्वागत करेंगे, लेकिन उन्होंने इस बारे में कोई वादा नहीं किया कि भाजपा इस तरह की सरकार को समर्थन देगी या नहीं। इस तरह के सुझाव भी हैं कि पहली बार चुनाव मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी, जो दूसरे सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है, को भाजपा अथवा कांग्रेस के बाहरी सहयोग से सरकार बनानी चाहिए, लेकिन आप ने इस ख्याल से कतई इंकार किया है।

यह पूछे जाने पर कि क्या उनका विचार राजधानी को ताजा चुनाव की तरफ धकेलना है, वर्धन ने कहा कि उनकी पार्टी को खंडित जनादेश के परिणामों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उल्लेखनीय है कि आप के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को ही यह स्पष्ट कर दिया था कि उनकी पार्टी कांग्रेस अथवा भाजपा के सहयोग से सरकार बनाने की बजाय ताजा चुनाव पसंद करेगी।

उपराज्यपाल कार्यालय ने एक वक्तव्य में कहा कि हर्षवर्धन ने सरकार बनाने में असमर्थता जताई है क्योंकि भाजपा के पास अपने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के साथ दिल्ली विधानसभा में स्पष्ट बहुमत नहीं है।

First Published: Thursday, December 12, 2013, 23:15

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