Last Updated: Monday, March 10, 2014, 16:11

नई दिल्ली : कई माह तक चली अटकलों के बाद सपा से निष्कासित नेता अमर सिंह एवं जयाप्रदा अजीत सिंह नीत राष्ट्रीय लोकदल में शामिल हो गये। सिंह को फतेहपुर से लोकसभा चुनाव का टिकट दिए जाने के संकेत दिये गये हैं जबकि जयाप्रदा बिजनौर से चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। रालोद प्रमुख अजीत सिंह के आवास सह कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अमर सिंह ने कहा कि वह चुनावी राजनीति के कारण रालोद में शामिल नहीं हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मैंने और जयाप्रदा ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में 1000 किमी की पदयात्रा की जबकि मेरे दोनों गुर्दे नाकाम हो रहे हैं। अमर सिंह ने कहा कि मुझे महसूस हुआ कि उप्र का विकास इसका विभाजन किये बिना नहीं हो सकता। अजीत सिंह ने हरित प्रदेश का हमेशा समर्थन किया है जो बहुत महत्वपूर्ण है। अजीत सिंह में पूर्वांचल, बुंदेलखंड एवं हरित प्रदेश जैसे राज्यों के गठन को लेकर जिस प्रकार की स्पष्टता है उसका प्रमुख दलों के नेताओं में अभाव है। फिल्मों से राजनीति में आयी जयाप्रदा ने कहा कि अजीत सिंह ने हमेशा उनको एवं अमर सिंह को सहयोग दिया है तथा वे पार्टी को मजूबत करने के लिए सब कुछ करेंगे।
अमर सिंह से जब यह सवाल किया गया कि भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के पक्ष में लहर होने के बावजूद वह नरेन्द्र मोदी विरोधी गठजोड़ में शामिल क्यों हो रहे हैं, उन्होंने कहा कि हमारी नरेन्द्र मोदी या भाजपा से कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है। राजनाथ भी मेरे मित्र हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति में वैचारिक मतभेद होते हैं। क्या यह कोई गैंग वार है।
बहरहाल, अमर सिंह ने फौरन यह भी कहा कि भाजपा की राजनीति मेरे डीएनए में नहीं है। रामपुर लोकसभा सीट से सांसद जयाप्रदा को अमर सिंह के प्रयासों के कारण समाजवादी पार्टी में लाया गया था। अमर सिंह उस समय पार्टी में महासचिव एवं सपा प्रमुख मुलायम सिंह के काफी विश्वस्त थे। अमर सिंह की पार्टी में स्थिति कमजोर होने के बाद जयाप्रदा की पूछ भी घटती गयी।
जयाप्रदा एवं सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान के बीच मतभेद कई दिनों तक सुखिर्यों में छाये रहे थे। बहरहाल, खान के कड़े विरोध के बावजूद जयाप्रदा ने रामपुर लोकसभा सीट पर विजय हासिल की थी। प्रभावशाली मुस्लिम नेता खान ने सपा के कल्याण सिंह से हाथ मिलाने एवं रामपुर से जयाप्रदा को उतारने के निर्णय से मुखर विरोध जताते हुए मई 2009 में पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया थ।
पिछले कुछ माह से इस बात की तेज अटकलें थीं कि दोनों कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। समझा जाता है कि कुछ समय पहले जयाप्रदा ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात की थी। बहरहाल, प्रतीत होता है कि कांग्रेस अमर सिंह के शामिल होने के मामले में बहुत सहज महसूस नहीं कर रही थी। इसके अलावा जयाप्रदा को कांग्रेस के टिकट पर रामपुर सीट से उतारने में भी दिक्कत थी क्योंकि यह सीट पार्टी की एक प्रमुख नेता बेगम नूर बानो की थी। (एजेंसी)
First Published: Monday, March 10, 2014, 09:46