Last Updated: Wednesday, December 18, 2013, 14:22
हैदराबाद: आंध्र प्रदेश विधानसभा में सीमांध्र (तटीय आंध्र प्रदेश व रायलसीमा) के विधायकों ने बुधवार को तेलंगाना विधेयक पर बहस में बाधा पहुंचाई, जिसके कारण सदन में हंगामे की स्थिति बनी हुई है। तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) और वाईएसआर कांग्रेस के सीमांध्र के विधायकों ने सदन में विधेयक पर चर्चा नहीं होने दी जिससे अध्यक्ष नादेंदला मनोहर को कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी।
सदन की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में मंगलवार को फैसला लिए जाने के बाद भी विपक्षी विधायकों ने कहा कि वह इस पर चर्चा नहीं होने देंगे। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सीमांध्र के विधायकों ने अध्यक्ष की आसंदी घेर ली और राज्य के विभाजन के विरोध में तख्तियां लहराईं।
इस शोरशराबे के बीच अध्यक्ष ने स्थगन प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। तेदेपा आंध्र प्रदेश विभाजन पर राज्य एवं केंद्र सरकार के रवैये पर बहस की मांग कर रही है, जबकि वाईएसआर कांग्रेस ने मांग की कि राज्य को संयुक्त रखने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किए जाने वाले प्रस्ताव को पहले पारित किया जाए।
अध्यक्ष की शांति की अपील अनसुनी कर दिए जाने पर सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गई। कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर स्थिति जस की तस रही, और सदन को फिर स्थगित कर दिया गया।
सीमांध्र से तेदेपा नेता डी.उमामहेश्वर राव ने कहा कि विधेयक असंवैधानिक तरीके से लाया गया है, लिहाजा वे इस पर चर्चा नहीं होने देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस वोट और सीट के लिए राज्य को विभाजित कर रही है। उन्होंने कहा कि विभाजन से संबंधित विभिन्न मसलों की विस्तृत जानकारी के बिना कोई चर्चा संभव नहीं है।
इधर, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के नेता हरीश राव ने चर्चा में विघ्न डालने वाले विधायकों को निलंबित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि वे विस्तृत चर्चा के लिए तैयार हैं, अगर विधेयक पर चर्चा नहीं हुई तो वह चुप नहीं बैठेंगे।
आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2013 को शोरशराबे के बीच सोमवार को सदन में पेश किया गया था। सीमांध्र के विधायकों के विरोध की वजह से इस पर हालांकि अभी तक चर्चा नहीं कराई जा सकी है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, December 18, 2013, 14:22