Last Updated: Tuesday, May 27, 2014, 16:15

नई दिल्ली: दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को दिल्ली हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। केजरीवाल की अर्जी पर दिल्ली हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई करते हुए कहा कि उन्हें जमानत बॉन्ड भरना ही होगा। इसके बाद अरविंद केजरीवाल इस फैसले को मानते हुए बॉन्ड भरने के लिए तैयार हो गए हैं। कोर्ट की सलाह के बाद पिछले 7 दिन से जेल की हवा खा रहे केजरीवाल बेल बॉन्ड भरने को तैयार हो गए हैं।
नितिन गडकरी की मानहानि के मामले में जमानत न लेने पर अड़े आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल को हाईकोर्ट से भी झटका लगा जिसके बाद वह जमानत बॉन्ड भरने को तैयार हुए। हाईकोर्ट ने कहा कि वह केजरीवाल की दलील तभी सुन सकता है जब केजरीवाल पहले मजिस्ट्रेट गोमती मनोचा के निर्देशों का पालन करते हुए जमानत के लिए निजी मुचलका भरें।
याचिका में 21 और 23 मई के मजिस्ट्रेट के आदेशों के तहत केजरीवाल को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने को चुनौती दी गई है। केजरीवाल ने मुचलका जमा करने से इंकार किया था जिसके बाद निचली अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा था। केजरीवाल का पक्ष है कि इस मामले में जमानती मुचलका अनिवार्य नहीं है और उन्हें लिखित हलफनामा देने की इजाजत दी जानी चाहिए थी।
केजरीवाल ने वकील रोहित कुमार के जरिए दायर याचिका में कहा कि मजिस्ट्रेट का आदेश ‘गैरकानूनी’ है क्योंकि यह ‘कानून की पूरी तरह गलत प्रस्तावना’ पर आधारित है। उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान पीठ ने सुझाव दिया कि केजरीवाल मुचलका जमा करें और जेल से बाहर आने के बाद फिर मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दें।
पीठ ने यह सवाल किया कि न्यायिक आदेश के खिलाफ केजरीवाल की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका कैसे लागू हो सकती है। केजरीवाल के वकील ने दलील दी कि आप नेता को हिरासत में लिया जाना पूरी तरह अवैध है क्योंकि सिर्फ हिरासत में लिए गए व्यक्ति को ही जमानती मुचलका जमा करने की जरूरत होती है।
गडकरी की वकील पिंकी आनंद ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का विरोध करते हुए कहा कि न्यायिक आदेश के खिलाफ इस तरह की याचिका विचारणीय नहीं है। उन्होंने कहा कि कानून के तहत इस तरह के मामलों में हर व्यक्ति को अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए जमानती मुचलका जमा करने की जरूरत पड़ती है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, May 27, 2014, 13:21