Last Updated: Tuesday, April 8, 2014, 10:51
ज़ी मीडिया ब्यूरो औरंगाबाद : बिहार के औरंगाबाद जिले के ढिबरा थानांतर्गत गोपाल डेरा गांव के समीप सोमवार दोपहर माओवादियों द्वारा किए गए आईईडी विस्फोट में सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट इंद्रजीत सहित तीन जवान शहीद हो गए। इस नक्सली हमले के बाद एक खौफनाक वीडियो सामने आया है, जिसमें घायल डिप्टी कमांडेंट अपनी जिंदगी के लिए गुहार लगा रहा है लेकिन दो घंटे तक उनके पास कोई मदद नहीं पहुंची। अंत में इस अधिकारी ने दम तोड़ दिया।
डिप्टी कमांडेट की मौत से सिस्टम पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। सीआरपीएफ अफसर इंद्रजीत की मौत और उन पर हमले के बाद का खौफनाक वीडियो सामने आया है। इसमें घायल अफसर तड़प रहा है और अपनी जान बचाने के लिए मदद की गुहार लगा रहा है।
अफसर ने इस वीडियो में कहा, `मैं मर रहा हूं, मुझे बचा लो। मैं पांच दस मिनट में मर जाऊंगा। कोई मेरे डीजी को बुलाओ। मैं मर जाऊंगा। मेरे छोटे छोटे बच्चे हैं। मुझे बचा लो। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री सभी को बता रहा हूं। दो घंटे हो गए हैं। मेरे पास कोई डॉक्टर नहीं है। मदद के लिए अभी तक कोई हेलीकॉप्टर नहीं आया है।`
इस जख्मी अफसर की मौत से यह सवाल उठता है कि अफसर के पास दो घंटे तक कोई मदद क्यों नहीं पहुंची? उनकी मौत के लिए कौन जिम्मेवार है? यह अफसर नक्सलियों के बम को डिफ्यूज करते वक्त घायल हुआ था। डिप्टी कमांडेंट पर भले ही नक्सलियों ने हमला किया हो लेकिन उनकी मौत के पीछे प्रशासन की लापरवाही एक बड़ा कारण हैं। इंद्रजीत ने आखिरी सांस लेने से पहले कैमरे पर जो कुछ कहा, उससे लगता है कि उनकी जान लापरवाही के कारण गई। अपनी जान बचाने की गुहार लगाते लगाते उन्होंने दम तोड़ दिया। इंद्रजीत अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन आखिरी सांस लेने से पहले उन्होंने कैमरे पर जो कहा वह सरकार के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है। गंभीर रूप से घायल इंद्रजीत सदर अस्पताल में इलाज के लिए दो घंटे तक तड़पते रहे।
हालांकि बिहार सरकार ने इंद्रजीत के मौत के मामले की जांच का आदेश दे दिया है, लेकिन इस मामले में काफी गंभीर चूक सामने आई है। जिससे देश के सुरक्षा तंत्र में व्याप्त खामियों का पता चलता है। वहीं, इंद्रजीत का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया है।
गौर हो कि शहीद इंद्रजीत सीआरपीएफ में डिप्टी कमांडेंट थे। उन्होंने 1990 में बतौर एएसआई नौकरी शुरू की। इंद्रजीत ने दस साल तक एसपीजी में काम किया। वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सुरक्षा में काम कर चुके थे। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और चंद्रशेखर की सुरक्षा में भी काम किया था और छह माह पहले ही उनका बिहार तबादला हुआ था।
इससे पहले, सीआरपीएफ के महानिरीक्षक नियंत्रण कक्ष से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, सोमवार को करीब डेढ बजे हुए इस विस्फोट में जवान पवन भाई घटनास्थल पर शहीद हो गए, जबकि घायल जवान टी पुन्नाराव की स्थानीय अस्पताल में तथा डिप्टी कमांडेंट इंद्रजीत ने रांची के अपोलो अस्पताल पहुंचने पर दम तोड़ दिया। इस विस्फोट में गंभीर रूप से घायल सीआरपीएफ के जवान विजय सिंह, दिलीप कुमार और राजवीर सिंह को बेहतर इलाज के लिए रांची स्थित अपोलो अस्पताल भेजा गया है, जबकि सीआरपीएफ निरीक्षक तारसेन सिंह और अवर निरीक्षक अजय कुमार जवान अशोक कुमार एवं वीरेंद्र कुमार दास तथा ढिबरा के थाना अध्यक्ष अमर कुमार चौधरी को पडोसी जिला गया स्थित अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कालेज अस्पताल भेजा गया है। पुलिस महानिरीक्षक (अभियान) अमित कुमार ने बताया कि घटनास्थल के पास से दो अन्य आईईडी बरामद किए गए हैं जिन्हें बम निरोधक दस्ते ने निष्क्रिय कर दिया है। माओवादियों ने आसन्न लोकसभा चुनाव के बहिष्कार की घोषणा कर रखी है और औरंगाबाद सहित बिहार के पांच अन्य नक्सल प्रभावित लोकसभा सीटों काराकाट, जमुई, गया, नवादा और सासाराम में आगामी दस अप्रैल को मतदान के मद्देनजर इन इलाकों में तलाशी अभियान लगातार जारी है।
बिहार के अपर पुलिस महानिदेशक :कानून व्यवस्था: एस के भारद्वाज ने पूर्व में बताया था कि यह विस्फोट जमीन के नीचे बिछाए गए विस्फोटक (बारूदी सुरंग) को निष्क्रिय करने के दौरान हुआ, जबकि सीआरपीएफ के महानिरीक्षक नियंत्रण कक्ष के मुताबिक सीआरपीएफ की उक्त टीम और ढिबरा थाना अध्यक्ष पैदल गोपाल डेरा गांव के समीप स्थित जंगली इलाके में तलाशी के लिए जा रहे थे, तभी माओवादियों द्वारा लगाए गए आईईडी में विस्फोट हो गया, जिससे वे उसकी चपेट में आ गए।
First Published: Tuesday, April 8, 2014, 10:51