Last Updated: Wednesday, May 28, 2014, 14:13

श्रीनगर : जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को केंद्र सरकार से यह स्पष्ट करने का आग्रह किया कि वे घटक कौन हैं, जो संविधान की धारा 370 को हटाने जैसे विवादास्पद मुद्दे पर बात कर रहे हैं। उमर का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब एक दिन पहले प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को कहा था नई सरकार ने धारा 370 को हटाए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसके कारण जम्मू एवं कश्मीर को भारतीय गणराज्य के अंदर ही विशेष दर्ज मिला हुआ है।
उमर ने बुधवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि हम इस कदम का पुरजोर विरोध करेंगे। जब यह बात पीएमओ के राज्यमंत्री ने कही है और यह नीतिगत मामला है, तब केंद्र सरकार को इस पर अपना रुख स्पष्ट करना होगा और बताना होगा कि वे घटक कौन-कौन हैं, जिन्होंने बात की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि धारा 370 के मुद्दे को फिर से उठाने से जम्मू एवं कश्मीर के संघ के साथ विलय का मुद्दा भी फिर से उठेगा।
अब्दुल्ला ने जितेंद्र सिंह के बयान पर बहुत तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि या तो धारा 370 बरकरार रहेगा या कश्मीर देश से अलग होगा। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और लोकसभा सांसद महबूबा मुफ्ती ने भी कहा कि उनकी पार्टी धारा 370 को हटाए जाने का विरोध करेगी। अब्दुल्ला ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नजमा हेपतुल्ला के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि आरक्षण भारतीय मुसलमानों की समस्या का समाधान नहीं है।
अब्दुल्ला ने कहा कि यह उतना आसान और सरल नहीं है। उन्हें अपने मंत्रालय में पकड़ बनाने में समय लगेगा। मुस्लिम आरक्षण क्यों मुद्दा होना चाहिए? अन्य वर्ग को दिए जा रहे आरक्षण को भी मुद्दा बनाना चाहिए। हालांकि, उन्होंने स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी देने को लेकर हो रही आलोचना पर कहा कि मुझे लगता है कि यह मुद्दा इसलिए है क्योंकि वह एक महिला हैं और बेहद युवा हैं। शैक्षणिक योग्यता क्यों मुद्दा होना चाहिए? क्या मुझे नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने के लिए पायलट होना चाहिए? (एजेंसी)
First Published: Wednesday, May 28, 2014, 14:13