भ्रष्टाचार के जुर्म में DDA कर्मचारी को चार साल की कैद

भ्रष्टाचार के जुर्म में DDA कर्मचारी को चार साल की कैद

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने अनधिकृत निर्माण की अनुमति देने के बदले आठ हजार रूपए रिश्वत लेने वाले दिल्ली विकास प्राधिकरण के एक कर्मचारी को चार साल की सजा सुनाते हुये उसे जेल भेज दिया है। अदालत ने कहा कि इस तरह के मामलों में किसी प्रकार की नरमी बरतने की आवश्यकता नही हैं।

विशेष न्यायाधीश संजीव जैन ने 52 वर्षीय शशि भानु को 2008 में रिश्वत लेने के इस मामले में चार साल की कैद की सजा के साथ ही उस पर एक लाख रूपए का जुर्माना भी किया है। शशि भानु दिल्ली विकास प्राधिकरण में जूनियर इंजीनियर था। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में सजा का मुख्य उद्देश्य इस अपराध पर अंकुश लगाना है।

अदालत ने कहा कि भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत निचले तबके से लेकर सर्वोच्च स्तर तक के लोकसेवक इसके दायरे में आते हैं। इसी तरह भ्रष्टाचार भी मामूली रकम से लेकर हजारों करोड़ रूपए की रिश्वत लेने तक फैला हुआ है।

अदालत ने इसके साथ ही शशि भानु को जेल भेज दिया। अदालत ने भानु को भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत गैरकानूनी तरीके से रिश्वत लेने, आपराधिक कदाचार और पद के दुरूपयोग के अपराध का दोषी ठहराया। अदालत ने इसके साथ ही दिल्ली विकास प्राधिकरण के ही एक अन्य कर्मचारी आर के शर्मा को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।

सीबीआई के अनुसार भानु और शर्मा के खिलाफ बिन्दापुर में प्राधिकरण के फ्लैट में हुये निर्माण को गिराने का नोटिस जारी नहीं करने के लिये शिकायतकर्ता केवीआई कृष्णन से आठ हजार रूपए की मांग की थी। कृष्णन ने इस मामले की सीबीआई में शिकायत की और कहा कि उसे विस्तारित आवास योजना के तहत 1995 में प्राधिकरण ने फ्लैट आबंटित किया था और ढाई मंजिल के निर्माण के लिये किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं थी। लेकिन प्राधिकरण के अधिकारी उसे इस निर्माण को जारी रखने की अनुमति के लिये रिश्वत मांग रहे हैं।

कृष्णन के अनुसार जब उसने अधिकारियों को रिश्वत की रकम नहीं दी तो उन्होंने उसे कारण बताओ नोटिस थमा दिया। इसके बाद ही कृष्णन ने जनवरी 2008 में सीबीआई को इसकी जानकारी दी। सीबीआई ने इसके बाद दोनों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। (एजेंसी)

First Published: Sunday, January 12, 2014, 13:39

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