देहरादून फर्जी मुठभेड़ मामला: 17 पुलिसकर्मियों को उम्र कैद

देहरादून फर्जी मुठभेड़ मामला: 17 पुलिसकर्मियों को उम्र कैद

देहरादून फर्जी मुठभेड़ मामला: 17 पुलिसकर्मियों को उम्र कैदज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : देहरादून के समीप जंगल में वर्ष 2009 में फर्जी मुठभेड़ में एमबीए के 22 वर्षीय स्नातक को मार डालने के जुर्म में दोषी ठहराए गए उत्तराखंड के 17 पुलिसकर्मियों को दिल्ली की एक अदालत ने आज उम्र कैद की सजा सुनाई।

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश जे पी एस मलिक ने दोषी ठहराए गए 17 पुलिसकर्मियों को उम्र कैद की सजा सुनाई। इन पुलिसकर्मियों को गाजियाबाद निवासी रणबीर सिंह का अपहरण करने और मार डालने की साजिश में शामिल होने के लिए छह जून को दोषी ठहराया गया था। रणबीर 3 जुलाई 2009 को एक नौकरी के सिलसिले में देहरादून गया था।

अदालत ने सात पुलिसकर्मियों में से प्रत्येक पर 50-50 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया है। इन सात पुलिसकर्मियों में छह उप निरीक्षक... संतोष कुमार जायसवाल, गोपाल दत्त भट्ट (थाना प्रभारी), राजेश बिष्ट, नीरज कुमार, नितिन कुमार चौहान, चंदर मोहन सिंह रावत और सिपाही अजित सिंह शामिल हैं। इन सभी को रणबीर को मारने का दोषी ठहराया गया था।

अदालत ने दस अन्य पुलिसकर्मियों पर बीस बीस हजार रूपये का जुर्माना लगाया है। ये पुलिसकर्मी रणबीर का अपहरण करने और उसे मारने की साजिश रचने के दोषी ठहराए गए थे।

अदालत ने संबद्ध प्राधिकारियों को निर्देश दिया है कि जुर्माने के तौर पर एकत्र राशि रणबीर के परिवार को क्षतिपूर्ति के तौर पर दी जाये। रणबीर ने मेरठ विश्वविद्यालय से एमबीए में स्नातक किया था। बहरहाल, अदालत में मौजूद रणबीर के परिजनों ने फैसले पर नाखुशी जताते हुए कहा कि वह इसके खिलाफ उच्च अदालत में अपील करेंगे।

रणबीर की मां ने रोते हुए कहा, मैं अपने जवान बेटे को मार डालने वाले सभी पुलिसकर्मियों के लिए मौत की सजा चाहती हूं। इस बीच एक दोषी संतोष कुमार जायसवाल की पत्नी फैसले के बाद अदालत में रो पड़ी। उसने कहा, हम कहां जाएंगे ? वह (संतोष) परिवार के एकमात्र कमाउ सदस्य हैं। अदालत ने पुलिसकर्मी जसपाल सिंह गोसाईं को, सजा से एक व्यक्ति को बचाने के इरादे से गलत रिकार्ड पेश करने का दोषी ठहराया और उसे दो साल की सजा सुनाई। सजा की यह अवधि वह पहले ही जेल में भुगत चुका है।

गोसाईं घटना के दौरान शहर के नियंत्रण कक्ष में मुख्य ऑपरेटर था। उसे अन्य सभी आरोपों से बरी कर दिया गया। अदालत ने उसे 50,000 रूपये की जमानत राशि तथा इतनी ही राशि का मुचलका भरने का आदेश दिया गया।

अदालत ने शुक्रवार को उत्तराखंड पुलिस की इस दलील को खारिज कर दिया था, कि रणबीर दो अन्य लोगों के साथ बाइक पर सवार था और उसने तलाशी के लिए रोके जाने पर एक पुलिसकर्मी से रिवॉल्वर छीन लिया था। यह तलाशी 3 जुलाई 2009 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल की उत्तराखंड यात्रा को ध्यान में रखते हुए ली जा रही थी।

अदालत ने सात पुलिसकर्मियों को हत्या का दोषी ठहराए जाने के अलावा दस अन्य पुलिसकर्मियों -सिपाही सतबीर सिंह, सुनील सैनी, चंद्रपाल, सौरभ नौटियाल, नागेंद्र राठी, विकास चंद्र बालूनी, संजय रावत, मनोज कुमार, चालक मोहन सिंह राणा और इंद्रभान सिंह को भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षडयंत्र), धारा 364 (हत्या के लिए अपहरण) और धारा 302 (हत्या) के तहत दोषी ठहराया।

केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने मुठभेड़ के इस मामले में पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। इन सभी को इस सबूत के आधार पर गिरफ्तार किया गया था कि रणबीर को मोहिनी रोड से पकड़े जाने के बाद उत्तराखंड पुलिस ने मार गिराया था जहां वह और उसके साथी तीन जुलाई, 2009 को कथित रूप से अपराध करने का प्रयास कर रहे थे। रणबीर के दो दोस्तों को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था और उत्तराखंड में उनके खिलाफ लूटपाट का एक अलग मुकदमा चल रहा है।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

First Published: Monday, June 9, 2014, 14:57

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