Last Updated: Monday, January 6, 2014, 16:16
नई दिल्ली : बिहार में बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए एक बड़ा कदम बढ़ाते हुए एक केंद्रीय एजेंसी ने चार अंतरराज्यीय नदियों को जोड़ने वाली परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट को अंतिम रूप दे रही है। इस परियोजना से तीन जिलों को बाढ़ से बचाने में मदद मिलेगी।
यह बहुआयामी परियोजना बाढ़ के 492 क्युमेक (घनमीटर प्रति सेकेंड) पानी का रख बूढ़ी गंडक नदी से बाया गंगा नदी की ओर मोड़ सकती है। इससे एक लाख हेक्टेयर से ज्यादा कृषियोग्य क्षेत्र में सिंचाई भी बढ़ेगी। राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी द्वारा तैयार की गई यह रिपोर्ट (डीपीआर) नदियों को जोड़ने की प्रक्रिया में एक अहम कदम है। इसके जरिए राज्य सरकार केंद्रीय जल आयोग से आगे सहमति के लिए संपर्क कर सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, चार नदियों- गंडक, नून, बाया और गंगा को जोड़ने से बाढ़ की दृष्टि से जोखिम भरे राज्य के समस्तीपुर, बेगुसराय और खगड़िया जिलों को वार्षिक बाढ़ की तबाही से बचाया जा सकेगा। तीन जिलों में बाढ़ के कारण हुए नुकसान का आकलन वार्षिक तौर पर 204.73 करोड़ रूपए है। बाढ़ के पानी का रूख मोड़ देने से 143.31 करोड़ रूपए की बचत की जा सकेगी। इससे खरीफ के मौसम में 1.26 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई बढ़ने का मार्ग भी खुलेगा। सिंचाई में होने वाला यह लाभ लगभग 587.10 करोड़ रूपए का होगा।
लगभग 4200 करोड़ रूपए की इस परियोजना से जुड़ी इस रिपोर्ट में बाढ़ संभावित बूढ़ी गंडक नदी और एक लंबी नहर के आसपास 29 किलोमीटर का एक अवरोधक बनाने का प्रस्ताव दिया गया है। अवरोधक से टकराकर जल का रूख बाया नदी की ओर मुड़ जाता है। बूढ़ी गंडक-नूनी-बाया-गंगा अंतरराज्यीय जुड़ाव ऐसी पहली परियोजना है, जो किसी राज्य सरकार ने जल संसाधन मंत्रालय के तहत काम करने वाली राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी से लिया है। यह रिपोर्ट तीन साल से भी कम समय में पूरी की गई है। इसे बिहार सरकार की ओर से इस संबंध में अनुरोध किए जाने के बाद शुरू किया गया था। चार अंकों की इस रिपोर्ट को आगे की कार्यवाही के लिए राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग के पास भेज दिया गया है। (एजेंसी)
First Published: Monday, January 6, 2014, 16:16