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छत्तीसगढ़ से जुड़े हैं उन्नाव जिले के डौंडियाखेड़ा के तार

रायपुर: उत्तप्रदेश के उन्नाव जिले का डौंडियाखेड़ा गांव इस वक्त चर्चा में है। एक राजा के किले के खंडहरों में 1000 टन सोना दबा होने की बात से देश में खलबली मची हुई है। दरअसल डौंडियाखेड़ा राजपरिवार का एक धड़ा नवापारा राजिम से 12 किलो मीटर दूर ग्राम जौंदा में रहकर अपना जीवन यापन कर रहा है।

बरसों पहले डौंडियाखेड़ा राजवंश के सदस्य राजा केसरी सिंह अपने परिवार के साथ अपना पुराना सामान लेकर छत्तीसगढ़ आए थे। बाद में राजा केसरी सिंह छत्तीसगढ़ के कई जिलों में रहे। जौंदा गांव में अब भी उनके परिवार के सदस्य रहते हैं।

बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ की राजधानी के लौहार चौक पर जहां शासकीय कन्या सरस्वती विद्यालय स्थित है, वहां राजा केसरी सिंह ने एक बड़ा मकान बनवाया। जानकारी के मुताबिक राजा केसरी सिंह ने रायपुर में लोहे व मिठाई का व्यवसाय किया। उन्होंने भाठागांव के पास एक गांव के बाजू से निकलने वाली खारून नदी के किनारे आम पेड़ भी लगाए। उस बाग को आज भी राजा केसरी के नाम से जाना जाता है।

राजा केसरी ने प्रमुख रूप से राजिम के जौंदा गांव को खरीद लिया था। गांव में उनके वंशज आज भी अपना जीवनयापन कर रहे हैं। जौंदा गांव में इस वक्त राजा केसरी सिंह की छठी पीढ़ी के लोग निवास कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक 14वीं शताब्दी में लोग अपनी बसाहट बाड़ा में सामूहिक रूप से रह कर जीवनयापन करते थे। उसी प्रक्रिया के तहत रायपुर के कई स्थल पुरानी बस्ती, बुढ़ापारा, लौहार चौक सहित कई इलाकों में राजा महाराज के जमाने के बाड़ा बने हुए हैं, जहां आज भी कई लोग रहते हैं। (एजेंसी)

First Published: Thursday, October 24, 2013, 09:24

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