गुजरात में हर तीसरा बच्चा कुपोषण का शिकार: कैग

गुजरात में हर तीसरा बच्चा कुपोषण का शिकार: कैग

अहमदाबाद: गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात मॉडल की तारीफ करते नहीं थकते लेकिन इसकी हकीकत कुछ और ही है। सीएजी द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में हर एक तीसरा बच्चा कुपोषण का शिकार है। सीएजी ने गुजरात में समेकित बाल विकास योजना की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। यह योजना बच्चों को कुपोषण से बचाने का काम करती है।

गुजरात में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने राज्य की एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के परिचालन पर सवालिया निशान खड़े करते हुए कहा है कि राज्य में हर तीसरे बच्चे का वजन औसत से कम (अंडरवेट) है।

कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पूरक आहार कार्यक्रम के तहत 223.14 लाख बच्चे लाभार्थी होने के योग्य थे, लेकिन इनमें से 63.37 लाख बच्चे छूट गए। यह रिपोर्ट गुरुवार को गुजरात विधानसभा में पेश की गई। इसमें कैग ने कहा कि सालाना तौर पर 300 पोषण दिवस के लक्ष्य की पृष्ठभूमि में बच्चों को पूरक आहार मुहैया कराने के दिनों की कमी 96 तक पहुंच गई। लड़कियों को पोषण कार्यक्रम के कार्यान्वयन में 27 से 48 फीसदी तक कमी देखी गई। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 1.87 करोड़ की आबादी आईसीडीएस के फायदों से महरूम रह गई।

कैग ने कहा कि 75,480 आंगनवाड़ी केंद्र की जरूरत थी, लेकिन सिर्फ 52,137 केंद्रों की संतुति दी गई और इनमें से 50,225 केंद्र परिचालन में हैं। ऐसे में 1.87 करोड़ आबादी आईसीडीएस के फायदों से वंचित रह गई।

कैग की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने राज्य को नवंबर, 2008 में निर्देश दिया कि वह संशोधित जनसंख्या मापदंड के आधार पर अतिरिक्त योजनाओं को लेकर वह प्रस्ताव सौंपे, लेकिन गुजरात ने कोई प्रस्ताव नहीं दिया। इसमें कहा गया है कि राज्य के नौ से 40 फीसदी आंगनवाड़ी केंद्रों पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।

कैग ने कहा कि नबार्ड ने 3,333 आंगनवाड़ी केंद्रों के निर्माण की स्वीकृति दी थी, लेनि सिर्फ 1,979 केंद्रों का निर्माण हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2008-09 तक केंद्र सरकार ने आईसीडीएस के लिए सपूर्ण धन दिया, जबकि राज्य को 10 फीसदी अंशदान करना होता है। (एजेंसी)

First Published: Friday, October 4, 2013, 22:19

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