`आर्थिक रूप से निर्भर पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं`

`आर्थिक रूप से निर्भर पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं`

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने 61 वर्षीय एक महिला की तरफ से मासिक गुजारा भत्ता मांगे जाने संबंधी याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि आर्थिक रूप से स्वतंत्र पत्नी गुजारा भत्ते का दावा नहीं कर सकती।

न्यायमूर्ति वीके ताहिलरमानी और न्यायमूर्ति पी एन देशमुख की एक खंड पीठ एक महिला की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उसने एक परिवार अदालत द्वारा अक्तूबर 2012 में उसके पति को प्रति महीने 15000 रुपये की राशि देने के आदेश से इंकार किये जाने के फैसले को उसने चुनौती दी।

पति ने यह कहते हुए याचिका का विरोध किया कि वह अंधेरी में अपने एक फ्लैट का मालिकाना हक पहले ही अपनी पत्नी के हवाले कर चुका है और 50 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपोजिट भी उसके नाम कर दिया है। अदालत ने उल्लेख किया कि 50 लाख रूपये के अलावा पति ने अपनी पत्नी को अंतरिम भत्ते के तौर पर दो लाख रूपये दिए थे जिसे उसने बैंक में फिक्सड डिपोजिट के तौर पर जमा कराया।

अदालत ने कहा, ‘वर्तमान मामले में यह नजर आता है कि महिला को हर महीने ब्याज के रूप में 37,500 रुपये से ज्यादा राशि मिल रही है। उसके बैंक खाते में पर्याप्त राशि है। इसके साथ ही उसका बेटा हर महीने रुपये देता है। कोई भी उस पर निर्भर नहीं है और अपने जीवन यापन के लिए उसके पास पर्याप्त आय है।’ पीठ ने कहा कि गुजारा भत्ता के लिए दावा करते समय पत्नी को यह साबित करना होता है कि अपना जीवन यापन चलाने के लिए उसके पास आय का कोई स्थायी स्रोत नहीं है और वित्तीय तौर पर अपना गुजारा नहीं कर सकती। (एजेंसी)

First Published: Sunday, February 23, 2014, 11:55

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