Last Updated: Thursday, December 26, 2013, 20:58
मुंबई : अन्ना हजारे ने आज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण से ग्राम सभाओं को मजबूत करने और अधिकारियों का स्थानांतरण समेत अन्य विषयों पर कानूनों को उचित तरीके से लागू करने का आग्रह करते हुए चेतावनी दी कि अगर कार्रवाई नहीं की गयी तो आंदोलन शुरू करेंगे।
अन्ना हजारे ने कहा, ‘समाज के हर स्तर पर व्यापक भ्रष्टाचार के कारण आम आदमी का जीना दूभर हो गया है। राज्य की जनता ने ‘जन आंदोलन’ के जरिये सरकार पर ग्राम सभा को सशक्त करने, आधिकारिक जिम्मेदारी निभाने में देरी, अधिकारियों का तबादला और नागरिक संहिता पर कानून लागू करने के लिए दबाव बनाया था।’ गांधीवादी कार्यकर्ता ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में लिखा है कि अच्छे कानून होने के बावजूद उनका क्रियान्वयन नहीं होना दुखद है।
अन्ना ने कहा कि ग्राम सभा का स्थान लोकसभा और विधानसभा से ऊपर है। महात्मा गांधी कहा करते थे कि भारत का विकास गांवों के विकास पर निर्भर करेगा। अन्ना ने पत्र में लिखा, ‘मैं इन कानूनों को उचित तरीके से लागू करने के मुद्दे पर आपको याद दिलाने जा रहा हूं। अगर कोई कार्रवाई नहीं होती तो जन आंदोलन शुरू करना होगा ताकि इन कानूनों का क्रियान्वयन सुनिश्चित हो।’
उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को ‘आधिकारिक जिम्मेदारी निर्वहन विलंब रोकथाम अधिनियम, 2006’ को रद्द नहीं करने के प्रति भी आगाह किया और कहा कि यदि कानून को रद्द किया जाता है तो वह राज्यभर में आंदोलन करेंगे। अन्ना ने कहा, ‘10 साल पहले सरकारी अधिकारियों के तबादले की प्रक्रिया में भ्रष्टाचार होता था। मंत्रियों की मनमर्जी से अधिकारियों का तबादला होता था। यह ईमानदार अधिकारियों के साथ अन्याय था। हमने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया और यह आठ साल तक चला।’ महाराष्ट्र सरकार ने 2006 में ‘आधिकारिक जिम्मेदारी निर्वहन विलंब रोकथाम अधिनियम, 2006’ को पारित किया था जिसमें प्रावधान है कि किसी भी अधिकारी का स्थानांतरण 3 साल से पहले नहीं किया जाएगा।
अन्ना ने कहा, ‘हमने मांग की थी कि एक कानून बनाया जाना चाहिए जिसके अनुसार किसी अधिकारी को तीन साल का सेवाकाल पूरा करने के बाद ही स्थानांतरित किया जाएगा। महाराष्ट्र सरकार ने इस संबंध में 2006 में कानून बनाया। अब ईमानदार अधिकारियों के साथ कोई अन्याय नहीं होता।’
उन्होंने कहा, ‘हमें हाल ही में पता चला कि कुछ मंत्री इस कानून को निष्प्रभावी करना चाहते हैं। वे मांग कर रहे हैं कि स्थानांतरण का अधिकार मंत्रियों को होना चाहिए। हमने पत्र लिखा है कि अगर इस कानून को रद्द किया जाता है तो हम इसके खिलाफ राज्यभर में आंदोलन करेंगे। लंबे आंदोलन के बाद यह कानून बना था और अब वे इसे रद्द करने जा रहे हैं।’ (एजेंसी)
First Published: Thursday, December 26, 2013, 20:58