ममता बनर्जी रैली में अन्ना हजारे नहीं पहुंचे

ममता बनर्जी की रैली में अन्ना हजारे नहीं पहुंचे

ममता बनर्जी की रैली में अन्ना हजारे नहीं पहुंचेनई दिल्ली : ममता बनर्जी और अन्ना हजारे की यहां की बहुप्रचारित संयुक्त रैली हजारे की गैर मौजूदगी के चलते फुस्स रही तथा दोनों पक्षों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। समझा जा रहा था कि ममता बनर्जी अन्ना हजारे के साथ मिलकर अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा को आगे बढ़ाने की प्रयास कर रही हैं, लेकिन आज का यह मंच सिर्फ तृणमूल कांग्रेस की रैली बनकर रह गया।

लोगों की कम उपस्थिति से बेहद परेशान ममता ने हालांकि दावा किया कि रैली का आयोजन तृणमूल ने नहीं बल्कि अन्ना के समर्थकों ने किया था और वह बस उसमें शामिल होने आयी थीं। ममता ने कहा, ‘यह मेरी नहीं, उनकी रैली थी। उन्होंने हमें न्यौता दिया था और मैं उनके न्यौते पर आयी। ’ अन्ना हजारे संभवत: रैली में शामिल होने के लिए कल रात महाराष्ट्र से यहां पहुंचे थे, लेकिन कई घंटे विलंब करने के बाद भी वह रैली में नहीं पहुंचे। रैली से तुरंत पहले हजारे ने कहा था कि वह रैली में शिरकत करेंगे, लेकिन वह नहीं पहुंचे। उनके सहयोगियों ने कहा कि वह अस्वस्थ होने के कारण रैली में नहीं पहुंच पाए।

हालांकि अपने शिष्य रहे अरविंद केजरीवाल की पार्टी को दरकिनार करते हुए उन्होंने पहले तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया था। ममता के करीबी सहयोगी मुकुल राय हजारे से मिलने महाराष्ट्र सदन गए लेकिन दोनों के बीच क्या बातचीत हुई, उसका पता नहीं चल पाया।

तृणमूल प्रमुख ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह राजनीतिक बैठक नहीं थी। यह सामाजिक बैठक थी। उन्हें न्यौता दिया गया था। मैंने यहां आने का वादा किया था और मैं आयी।’ उन्होंने दावा किया कि यहां तृणमूल के झंडे और बैनर नहीं लगे थे क्योंकि यह उनकी पार्टी की रैली नहीं थी। हालांकि उन्होंने हजारे के खिलाफ कुछ कहने से इनकार कर दिया और कहा कि वह उनका और उनकी इच्छा का सम्मान करती हैं। दूसरी तरफ हजारे के सहयोगियों ने कहा कि यह तृणमूल की रैली थी और लोगों की कम उपस्थिति का कारण यह है कि यह गलत समय और गलत दिन आयोजित की गयी।

हजारे की सहयोगी सुनीता गोदारा ने संवाददाताओं से कहा, ‘कब लोग इकट्ठा होते हैं? यह रविवार या शाम का वक्त होना चाहिए या फिर छुट्टी का दिन ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग पहुंचें । लोगों को अपनी रोजी रोटी के लिए कामधंधे पर निकलना होता है।’ रैली में अन्ना के नहीं पहुंचने पर सुनीता ने कहा, ‘अन्नाजी का स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकता है। यदि वह अस्वस्थ हैं तो उन्हें सूरज की गर्मी में बाहर नहीं आना चाहिए। और यदि उन्होंने तय कर लिया तो उन्होंने सही ही किया होगा। अन्ना को संदेश देना था और ममताजी संदेश दे रही हैं। ’ यहां एक महत्वपूर्ण बात यह है कि कोलकाता के एक इमाम ने धमकी दी थी कि यदि ममता बनर्जी ने हजारे के साथ मंच साझा किया तो वह ममता के प्रति अपना समर्थन वापस ले लेंगे।

ममता बनर्जी ने कांग्रेस और भाजपा के अलावा अपनी चिर प्रतिद्वंद्वी वामपंथी पार्टियों को भी निशाना बनाते हुए कहा, कि भाजपा कहती है कि वह शीर्ष सत्ता पर आएगी। लेकिन मैं पूछना चाहती हूं कि वह कैसे सत्ता में आएगी, गुजरात का चेहरा सांप्रदायिक है। गुजरात के लोग ही नहीं बल्कि वहां के नेता भी सांप्रदायिक हैं। भाजपा या कांग्रेस को समर्थन देने से इनकार करते हुए ममता ने कहा कि दोनों दल देश को बेचने के लिए सिंडीकेट बनाते हैं। वे साथ आ सकते हैं और माकपा की इन दलों से साठगांठ है। हम कांग्रेस, भाजपा या माकपा या इन दलों से संबंध रखने वालों का समर्थन नहीं करेंगे।

रामलीला मैदान में लोगों की कम उपस्थिति पर तृणमूल प्रमुख ने कहा कि इस मैदान में बाहर से लोग लाए जाते हैं । हम भी ऐसा कर सकते थे। लेकिन यह चुनाव का समय है। उन्होंने कहा कि कम लोगों के आने की वजह कल की वष्रा हो सकती है। हजारे को परोक्ष रूप से यह संकेत देते हुए कि उन्हें उनकी जरूरत नहीं है, ममता ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ती रही है और ऐसा करती रहेगी। आज हमारे पास 10 लोग हैं जो बढ़कर 10 लाख हो जाएंगे। ममता ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि शिशु मृत्युदर गुजरात से कम बंगाल में हैं । राष्ट्रीय शिशु मृत्युदर 44 है, गुजरात में यह 44 और पश्चिम बंगाल में 32 है। उन्होंने यह भी दावा किया कि देश की आर्थिक विकास दर से बंगाल की जीडीपी दर अधिक है। देश की जीडीपी दर 4.9 फीसदी है जबकि पश्चिम बंगाल में यह 7.71 है। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, March 12, 2014, 14:37

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