Last Updated: Saturday, December 7, 2013, 21:01
मुम्बई : एक महत्वपूर्ण फैसले में बंबई उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि पिता के निधन होने पर शादीशुदा पुत्री को भी अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी पाने का समान हक है।
न्यायालय ने कहा कि अविवाहित बेटियों को सरकारी नौकरी देना लेकिन विवाहित बेटियों को इस लाभ से वंचित करना सरकारी नौकरी के मामले में समानता के अधिकार, अवसर की समानता और जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन है जो संविधान में सन्निहित हैं।
अदालत 29 वर्षीय स्वाति कुलकर्णी की याचिका पर सुनवाई कर रही है। स्वाति ने पिता के निधन पर अनुकंपा के आधार पर नौकरी के उसके दावे को खारिज करने के महाराष्ट्र सिंचाई विभाग के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है। विभाग ने 1994 के एक सरकारी प्रस्ताव का हवाला देकर स्वाति के दावे को खारिज कर दिया था। इस प्रस्ताव के अनुसार केवल अविवाहित बेटियों को ही नौकरी मिलेगी।
याचिकाकर्ता के पिता अशोक कुलकर्णी वर्ष 2008 में नौकरी में रहते गुजर गए थे। उनकी पत्नी और छोटी बेटी ने नौकरी की इच्छा नहीं की जिस पर स्वाति ने दावा किया। उस समय उसका नाम प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया और जब उसकी शादी हो गयी तब उससे नाम हटा दिया गया। (एजेंसी)
First Published: Saturday, December 7, 2013, 21:01