दिल्ली में नर्सरी दाखिला फिर अधर में, SC ने हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

दिल्ली में नर्सरी दाखिला फिर अधर में, SC ने हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

दिल्ली में नर्सरी दाखिला फिर अधर में, SC ने हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोकनई दिल्ली : दिल्ली के स्कूलों में नर्सरी में प्रवेश की प्रक्रिया शुक्रवार को फिर अधर में लटक गयी। सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों में नर्सरी में प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी जिसकी वजह से सैकड़ों माता पिता के सामने अनिश्चियता और चिंता का एक नया दौर शुरू हो गया।

न्यायमूर्ति एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की पीठ ने उच्च न्यायालय के तीन अप्रैल के अंतरिम आदेश पर आज रोक लगा दी। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में निर्देश दिया था कि लाटरी के माध्यम से पड़ोस और दूसरी श्रेणियों में चयनित बच्चों को प्रवेश दिया जाये।

शीर्ष अदालत ने देश के दूसरे हिस्सों से राजधानी में आने वाले अभिभावकों की अपील पर यह आदेश दिया। ये अभिभावक अंतर्राज्यीय स्थानांतरण श्रेणी के तहत अपने बच्चों के लिये प्रवेश चाहते हैं। इस श्रेणी को दिल्ली सरकार ने प्रवेश प्रक्रिया के दौरान खत्म कर दिया था।

अंतर्राज्यीय श्रेणी के अभिभावकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता निधेश गुप्ता ने न्यायालय को बताया कि दिल्ली सरकार के 27 फरवरी के फैसले के कारण उनके मुवक्किल को वह सीट खाली करनी पड़ीं जो प्रवेश के लिये पहले के दिशानिर्देशों के अनुसार निकाली गयी लाटरी में सफल हुये थे।

उच्च न्यायालय ने इस श्रेणी द्वारा खाली किये गये स्थानों के बारे में कोई आदेश नहीं दिया और इस मसले को सुनवाई की अगली तारीख 16 अप्रैल के लिये स्थगित कर दिया था।

उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुये गुप्ता ने दलील दी कि हालांकि उनके मसले पर अभी निर्णय होना है लेकिन उनका मामला तो लगभग खत्म ही हो चुका है क्योंकि उनके द्वारा खाली किये गये स्थान दूसरों को आबंटित हो जायेंगे।

इससे पहले, अंतर्राज्यीय स्थानांतरण श्रेणी में भी 75 अंक थे। गुप्ता ने दलील दी कि उच्च न्यायालय के आदेश से संविधान के अनुच्छेद 14 में प्रदत्त समता के बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन होता है क्योंकि पड़ोस के श्रेणी के बच्चों (उन्हें 70 अंक हैं) को पहले निकाली गयी लाटरी में चयन के आधार पर प्रवेश मिल जायेगा जबकि अंतर्राज्यीय स्थानांतरण समूह के बच्चों (जिसके लिये 70 अंक हैं) के मामले में अभी निर्णय होना है।

उन्होंने कहा कि तीन अप्रैल के आदेश का नतीजा यह होगा कि याचिकाकर्ताओं के बच्चों के बारे में करीब 60 फीसदी सीटों के लिये विचार ही नहीं होगा। याचिकाकर्ताओं ने 27 फरवरी की अधिसूचना को भी चुनौती दी है। इसी अधिसूचना के माध्यम से अंतर्राज्यीय स्थानांतरण श्रेणी खत्म की गयी थी।

उपराज्यपाल द्वारा 27 फरवरी को इस श्रेणी को खत्म करने के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी थी। उच्च न्यायालय ने 6 मार्च को उन सभी व्यक्तियों के लिये नये सिरे से लाटरी निकालने का निर्देश दिया था जिनके पड़ोस के बच्चे की श्रेणी के 70 अंक थे।

एकल न्यायाधीश के छह मार्च के आदेश को पड़ोस की श्रेणी में आने वाले बच्चों के अभिभावकों ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ में चुनौती दी थी। इस आदेश को अंतर्राज्यीय स्थानांतरण श्रेणी के अभिभावकों ने भी चुनौती दी थी जो चाहते थे कि 27 फरवरी की अधिसूचना से पहले निकली लाटरी के नतीजे बरकरार रखे जायें।

उच्च न्यायालय ने इसके बाद 12 मार्च को फिर से लाटरी निकालने के एकल न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगाते हुये नर्सरी प्रवेश की समूची प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।

उच्च न्यायालय ने तीन अप्रैल को नर्सरी में प्रवेश पर लगी रोक हटाते हुये कुछ निर्देशों के साथ प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था। न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि लाटरी में एक से अधिक स्कूलों में विजयी बच्चों को नौ अप्रैल तक एक स्कूल का चयन करके दूसरे स्थानों को छोड़ना होग। ऐसा नहीं करने पर उनका प्रवेश पाने का अधिकार खत्म हो जायेगा। (एजेंसी)



First Published: Friday, April 11, 2014, 19:04

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