Last Updated: Sunday, June 1, 2014, 11:55
नई दिल्ली : अविभाजित आंध्र प्रदेश से राष्ट्रपति शासन कल आंशिक रूप से हटा लिया जाएगा ताकि नवगठित तेलंगाना राज्य में टीआरएस प्रमुख के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली सरकार को शपथ ग्रहण में मदद मिल सके। तेलंगाना में राष्ट्रपति शासन कल हट जाएगा जबकि विभाजन के बाद के शेष आंध्र प्रदेश में यह लागू रहेगा क्योंकि तेदेपा प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभवत: एक सप्ताह बाद संभालेंगे।
तेलंगाना में राष्ट्रपति शासन हटाने के बारे में अधिसूचना कल सुबह जारी होने की उम्मीद है ताकि राव देश के इस नवगठित 29वें राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाल सकें। अधिसूचना में स्पष्ट होगा कि विभाजन के बाद शेष आंध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन तब तक लागू रहेगा जब तक नायडू मुख्यमंत्री के रूप में शपथ न ले लें। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि नायडू संभवत: 8 जून को शपथ लेंगे।
मुख्यमंत्री एन किरन कुमार रेडडी के इस्तीफे के बाद गत एक मार्च से आंध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में राव की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति ने तेलंगाना में 119 विधानसभा सीटों में से 63 पर जीत दर्ज की है जबकि तेदेपा ने भाजपा के साथ मिलकर सीमांध्र की 175 सीटों में से 106 विधानसभा सीटें जीती हैं।
सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री के रूप में राव के शपथ ग्रहण से पहले राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन खुद शपथ लेंगे। उन्हें प्रस्तावित तेलंगाना राज्य का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि राज्य के 2 जून को होने वाले बंटवारे को सुचारू रूप से अंजाम देने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय और आंध्र प्रदेश सरकार में गहमा गहमी जारी है।
राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन ने शुक्रवार को कहा था कि आंध्र प्रदेश का बंटवारा सुचारू रूप से हो जाएगा और हर कोई तेलंगाना में सुरक्षित रहेगा, चाहे वह मूल रूप से कहीं का भी रहने वाला हो। राज्यपाल ने यहां गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर आंध्र प्रदेश के विभाजन को लेकर उनसे विस्तार से चर्चा की।
उन्होंने राजनाथ सिंह को बताया कि पृथक तेलंगाना राज्य का 2 जून को गठन करने संबंधी सभी इंतजाम कर लिये गये हैं। सरकारी सूत्रों ने बताया कि विभाजन के बाद बचे आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के लिए आईएएस और आईपीएस जैसी अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों का अस्थायी आवंटन तथा राज्य सरकार के अधिकारियों का अस्थायी आवंटन किया जा चुका है।
दोनों ही राज्यों का प्रशासन हैदराबाद स्थित सचिवालय परिसर से चलेगा। तेलंगाना और शेष बचे आंध्र प्रदेश के उपयोग के लिए पृथक इमारतों या ब्लाक की पहचान कर ली गयी है। एकीकृत आंध्र प्रदेश का मौजूदा विधान भवन तेलंगाना विधानसभा के उपयोग में आएगा जबकि उसी परिसर में निकट की इमारत शेष बचे आंध्र प्रदेश के विधान भवन के रूप में उपयोग होगी।
दोनों ही राज्यों के विधायक अपने अपने राज्यों के विधायक के रूप में अलग अलग तारीखों में शपथ ग्रहण करेंगे। सूत्रों ने बताया कि अविभाजित आंध्र प्रदेश की परिसंपत्तियों का बंटवारा दोनों राज्यों के बीच किया जाएगा लेकिन प्रक्रिया में समय लगेगा। इसमें कुछ वर्ष लग सकते हैं।
राज्य से बाहर की परिसंपत्तियां मसलन नयी दिल्ली स्थित आंध्र भवन, दोनों ही राज्यों की परिसंपत्ति के रूप में तब तक बना रहेगा, जब तक बिना किसी विवाद के इसके स्वामित्व का निपटारा नहीं हो जाता।
(एजेंसी)
First Published: Sunday, June 1, 2014, 11:55