Last Updated: Sunday, February 9, 2014, 18:21
देहरादून : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज कहा कि प्रदेश में पिछले साल आयी भीषण प्राकृतिक आपदा में बुरी तरह तबाह हुए केदारनाथ, रामबाड़ा और गौरीकुंड जैसे क्षेत्रों को पुनर्निर्माण की दृष्टि से नौ विशेष जोनों के रूप में चिह्नित किया गया है। यहां ‘विकास दिवस’ के मौके पर एक संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री रावत ने बताया कि इन नौ विशेष जोनों में से सर्वाधिक तबाह हुए रामबाड़ा से केदारनाथ तक के क्षेत्र को अतिविशेष जोन के रूप में चिह्नित किया गया है जिसके पुनर्निर्माण के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी।
उन्होंने कहा कि अन्य आठ विशेष जोनों का प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) पद के लिये क्वालीफाई हो चुके वरिष्ठ उपजिलाधिकारियों (एसडीएम) को बनाया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि जोन के प्रभारियों को पांच करोड़ रूपये तक की योजनाओं की स्वीकृति अपने स्तर से देने का अधिकार दे दिया जाए।
आपदा से बेहाल राज्य के पुनर्निर्माण कार्य को जल्द पूरा करने को अपनी सरकार की प्राथमिकता बताते हुए रावत ने कहा कि गौरीकुंड से रामबाड़ा तक पैदल मार्ग के निर्माण का कार्य एक हफ्ते में शुरू हो जायेगा। हालांकि रामबाड़ा से केदारनाथ तक का रास्ता बनाने के लिए मौसम ठीक होने का इंतजार करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले 5 मई तक रामबाड़ा से केदारनाथ मंदिर तक का पैदल मार्ग बना लिया जाएगा जिससे श्रद्धालुओं को वहां पहुंचने में कोई दिक्कत न हो।
रावत ने बताया कि आज का दिन प्रदेश भर में विकास दिवस के रूप में मनाया गया और राज्य के सभी 13 जिलों में विभिन्न विभागों की 1803 करोड़ रूपये की 600 योजनाओं का लोकार्पण या शिलान्यास किया गया। उन्होंने बताया कि विभिन्न जगहों पर इन योजनाओं का लोकार्पण या शिलान्यास उनके अलावा राज्य विधानसभा के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों ने किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि जहां 203 करोड़ रूपये की लागत की 150 योजनाओं का लोकार्पण किया गया। वहीं, 1600 करोड़ रूपये की 450 योजनाओं का शिलान्यास किया गया।
रावत ने कहा कि आपदा से संबंधित कामों के लिये हर जिले में एसडीएम की अध्यक्षता में प्रोग्राम इंम्पलीमेंटेशन यूनिट (पीआइयू) गठित किये गये हैं जिसमें इंजीनियरों और अधिकारियों को शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि पीआइयू स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मिलकर क्षेत्र में कार्यों का आंगणन तैयार करेंगे और एक करोड़ रूपये तक की योजनाओं की स्वीकृति अपने स्तर से दे सकेंगे। रावत ने कहा कि इनकी निगरानी जिलों के प्रभारी मंत्री करेंगे। इस संबंध में उन्होंने कहा कि सरकार के पास धन की कमी नहीं है और प्रक्रिया में लगने वाले समय को छोटा करने के लिये इस प्रकार की व्यवस्था की गयी है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, February 9, 2014, 18:21