लोकसभा चुनाव लड़ने से झिझक रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता

लोकसभा चुनाव लड़ने से झिझक रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता

कोलकाता : एक ओर जहां लोकसभा चुनावों की टिकट चाहने वालों की लंबी कतारें राजनैतिक दलों के कार्यालयों के बाहर लग रही हैं, वहीं पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के कुछ ऐसे वरिष्ठ नेता भी हैं जो राहुल गांधी के कहने के बावजूद आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने से झिझक रहे हैं। अब्दुल मन्नान और शंकर सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं के अलावा पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस समिति के पूर्व अध्यक्ष मानस भुनिया और प्रदीप भट्टाचार्य उन लोगों में से हैं, जिन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है।

राज्य कांग्रेस के नेताओं की पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ हाल ही में दिल्ली में हुई बैठक के बारे में भट्टाचार्य ने कहा, वह एक आम चर्चा थी। मुझे विशेष तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए नहीं कहा गया। ऐसी अटकलें हैं कि राहुल ने इस बैठक में वरिष्ठ नेताओं से उम्मीदवार बनने के लिए कहा था ताकि कार्यकर्ताओं और समर्थकों का मनोबल बढ़ाया जा सके।

जब भट्टाचार्य से पूछा गया कि क्या किसी अन्य नेता को चुनाव लड़ने के लिए कहा गया? तो उन्होंने कहा, हां, अब्दुल मन्नान और मानस भुनिया से कहा गया। उन्होंने अपनी परेशानियां जाहिर कीं लेकिन यह भी कहा कि यदि कहा जाएगा तो वे लड़ेंगे।

भट्टाचार्य ने कहा कि वे पहले ही राज्यसभा सदस्य हैं। सवाल चुनाव लड़ने का नहीं है। बड़ी बात यह है कि वे उम्मीदवारों के लिए सलाहकार की भूमिका में हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे लोकसभा चुनाव लड़ना नहीं चाहते तो भट्टाचार्य ने हां में जवाब दिया। उन्होंने कहा, हां, लेकिन मैं राज्यसभा का सदस्य हूं। भट्टाचार्य ने प्रेस ट्रस्ट को बताया, मेरी जिम्मेदारी चुनाव करवाने की है और मैंने यह काम शुरू कर दिया है। पार्टी के सभी उम्मीदवार मेरे पास चुनाव संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आ रहे हैं। उन्होंने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया कि राज्य में तृणमूल कांग्रेस की मजबूत स्थिति और उनके द्वारा किए गए विभिन्न सर्वेक्षणों में उनके लिए बेहतर संभावनाएं बताए जाने पर पैदा हुआ हार का डर ही उनके इंकार का कारण है।

उन्होंने कहा, मैंने वर्ष 1998, 1999 में सीरमपोर से चुनाव लड़ा था, जबकि तृणमूल कांग्रेस बेहद अच्छा प्रदर्शन कर रही थी। मैं इन बातों की परवाह नहीं करता। उन्होंने कहा कि उपरी सदन में कार्यकाल समाप्त होने के बाद वे दोबारा लोगों के बीच जाएंगे। हालांकि पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस समिति के अन्य पूर्व अध्यक्ष मानस भुनिया ने चुनाव लड़ने से इंकार करने की बात पर कुछ भी कहने से मना कर दिया। उन्होंने कहा, यह पार्टी का आंतरिक मामला है। मैं भला इसे जाहिर क्यों करूं?

जब भुनिया से पूछा गया कि क्या उन्होंने चुनाव लड़ने से इंकार किया है, तो उन्होंने कहा, मैं कुछ नहीं कहूंगा। जब भुनिया से इस खबर के बारे में पूछा गया कि क्या उन्होंने चुनावों के लिए अपनी पत्नी का नाम दिया था लेकिन उसे लौटा दिया गया, तो उन्होंने कहा, मैं कुछ नहीं कहूंगा। मैं कोई टिप्पणी नहीं कर रहा। मैं चर्चा के बारे में कुछ भी उजागर करने के लिए यहां नहीं आया हूं। पार्टी के वरिष्ठ नेता अब्दुल मन्नान ने कहा कि वे नेहरू के अनुयायी हैं और वही करेंगे जो पार्टी नेता सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी कहेंगे।

उन्होंने कहा, मुझे चुनाव लड़ने के लिए कहा गया और मैं राजी हो गया। उन्होंने कहा, लेकिन मेरे द्वारा प्रस्तावित दो नामों को मंजूरी देने पर पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष (अधीर चौधरी) के रूख से मुझे दुख पहुंचा है और मैंने राजनीति छोड़ने का फैसला किया है। वे हुगली जिले की दो लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा को लेकर पार्टी के राज्य नेतृत्व से नाराज थे और उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने की प्रतिज्ञा ली है।

चार दशकों से कांग्रेस के साथ रहे मन्नान ने कहा, मैं राजनीति छोड़ूंगा। मैं किसी दूसरी पार्टी में शामिल नहीं होउंगा लेकिन यहां अब और नहीं रहूंगा। उन्होंने कहा कि वे इस बात से बेहद आहत हैं कि प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष अधीर चौधरी ने उनके फोन कॉल नहीं लिए या इस बात का जवाब नहीं दिया कि आखिर क्यों उनके समर्थन वाले लोगों को उम्मीदवार नहीं बनाया गया। चौधरी से संपर्क नहीं किया जा सका।

नादिया जिला कांग्रेस के अध्यक्ष शंकर सिंह ने कहा, अधीर चौधरी ने मुझसे संपर्क किया था। लेकिन मैंने कहा कि मेरे लिए चुनाव लड़ना सही नहीं होगा क्योंकि तब मैं एक ही सीट तक सीमित रहूंगा। उन्होंने कहा, जिला अध्यक्ष के तौर पर मेरे पास पूरे जिले की जिम्मेदारी है, जहां विधानसभा उपचुनावों के अलावा लोकसभा की दो सीटें हैं। इसलिए मेरे लिए चुनाव लड़ने का फैसला कोई बुद्धिमत्ता पूर्ण फैसला नहीं होगा। (एजेंसी)

First Published: Saturday, March 15, 2014, 13:00

comments powered by Disqus