मोदी विरोध पर शिवानंद ने नीतीश से पूछे सवाल

मोदी विरोध पर शिवानंद ने नीतीश से पूछे सवाल

मोदी विरोध पर शिवानंद ने नीतीश से पूछे सवालपटना : जदयू द्वारा राज्यसभा का फिर से उम्मीदवार नहीं बनाए जाने के बाद नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले शिवानंद तिवारी ने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से लड़ाई और नरेंद्र मोदी या सांप्रदायिकता के विरुद्ध संघर्ष में ईमानदारी और उनकी संजीदगी पर प्रश्न उठाए हैं।

शिवानंद ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा है कि पिछली घटनाओं पर जब वे नजर डालते हैं तो उन्हें लगता है कि नीतीश, नरेंद्र मोदी से लड़ना नहीं चाहते थे।

उन्होंने कहा है कि नीतीश के लिए राजग से बाहर निकलने का सबसे माकूल समय वह था जब उन्होंने मोदी सहित भजपा के तमाम राष्ट्रीय नेताओं को भोज का न्योता देकर उसे वापस ले लिया था। इससे ज्यादा कोई किसी का क्या अपमान कर सकता है। बिहार विधानसभा के पिछले चुनाव के पहले की यह की बात है। इतनी दूर जाकर वह पीछे क्यों हटे। अगर उसी समय राजग से वे बाहर निकल गए होते तो उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में उनको अकेले बहुमत मिल गया होता। भाजपा भी आज के मुकाबले बहुत छोटी हो गई होती।

शिवानंद ने आरोप लगाया है कि साहस की कमी या राजग में रहने में ही ज्यादा लाभ की उम्मीद में उन्होंने एक ऐतिहासिक अवसर गवां दिया। गठबंधन से बाहर निकलने का यही माकूल समय है नीतीश को उस समय उन्होंने भी सलाह दी थी।

उन्होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव के बाद राजग में रहते हुए नीतीश की मोदी विरोध की नीति जारी रही। शिवानंद ने कहा कि जब वह मुखर होकर मोदी और आरएसएस का विरोध कर रहे थे तब उन्हें पार्टी प्रवक्ता से हटाकर मोदी विरोध की उनकी आवाज कमजोर क्यों किया गया।

उन्होंने कहा कि दरअसल राजग से बाहर निकलने के पूर्व पार्टी की कोर कमेटी की बैठक मुख्यमंत्री आवास में हुई थी। शिवानंद ने कहा कि बैठक के अंत में नीतीश कुमार ने अपनी बात रखते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह और उनके उपर आरोप लगाया था कि उन्होंने ज्यादा बोलकर संकट को बढ़ाया। उन्होंने कहा कि आखिर संकट बढ़ाने का आरोप हम लोगों पर लगाने के पीछे नीतीश का क्या मतलब था। क्या हम लोगों की वजह से बात इतनी आगे बढ़ गई थी कि राजग में रहना उनके लिए मुमकिन नहीं रह गया था।

शिवानंद ने कहा है कि उक्त बैठक के कुछ दिन बाद ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने जो नई कमेटी बनाई उसमें न तो उन्हें प्रवक्ता और न ही महासचिव बनाया गया। उन्होंने नीतीश पर उस बैठक के बाद उनसे आज तक बात नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे जानना चाहते हैं उन्होंने कौन सा ऐसा काम किया था जिसकी वजह से उनके दल को नुकसान पहुंचा और नीतीश ने उन्हें दूध की मक्खी की तरह अलग कर दिया?

शिवानंद ने नरेंद्र मोदी या सांप्रदायिकता के विरुद्ध नीतीश के संघर्ष में ईमानदारी को लेकर शंका जताते हुए उन पर इस बहाने केवल अपनी छवि चमकाने का अभियान चलाने का आरोप लगाया। उन्होंने अपने पत्र को एक शेर ‘इश्क ए बुतां में जिंदगी गुजर गई मोमिन, अब आखिरी वक्त क्या खाक मुसलमां होंगे’ के साथ समाप्त करते हुए कहा है कि अगर नीतीश उनसे यह अपेक्षा करते थे कि वे उन्हें जेठ में सावन की हरियाली दिखाएं तो यह कला उन्होंने कभी सीखी नहीं। (एजेंसी)


First Published: Thursday, February 6, 2014, 21:15

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