Last Updated: Wednesday, November 27, 2013, 19:49

गाजियाबाद : दंतचिकित्सक दम्पति राजेश तलवार और नूपुर तलवार को सीबीआई द्वारा पेश ठोस परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर 14 वर्षीय पुत्री आरुषि और घरेलू सहायक हेमराज की हत्या में दोषी ठहराया गया है। जांच ब्यूरो ने पहले सबूतों के अभाव में इस मामले को बंद करने की रिपोर्ट दी थी।
विशेष न्यायाधीश श्यामलाल ने अपने 208 पृष्ठों के फैसले में करीब 20 पृष्ठों में ठोस परिस्थितिजन्य सबूतों के महत्व और भूमिका समझाने में समर्पित किया है जिसमें उन्होंने दार्शनिकों, उच्चतम न्यायालय के फैसलों, आपराधिक विधि पत्रिकाओं और विश्व के कई प्रमुख न्यायविदों को उद्धृत किया है।
उन्होंने ‘संदेह के लाभ’ और उन परिस्थितियों को भी बताया है जिसमें उनका इस्तेमाल आरोपियों के खिलाफ किया जा सकता है। उन्होंने एक मामले में परिस्थितिजन्य सबूत पर आधारित ‘पंचशील’ को भी सूचीबद्ध किया। उन्होंने कहा कि जहां एक मामला परिस्थितिजन्य सबूत पर टिका होता है, पांच जरूरी नियमों का ध्यान रखा जाना चाहिए।
पहला यह कि वे परिस्थितियां पूर्ण रूप से सिद्ध होनी चाहिए जिसके आधार पर दोषी करार दिया जाना है। परिस्थितियां सिद्ध होनी चाहिए या हो सकता है कि सिद्ध ना हो। दूसरा यह कि इस तरह से सिद्ध तथ्य अपराधी के दोष की परिकल्पना के अनुरूप होने चाहिए, कहने का मतलब है कि उसे इस परिकल्पना के अलावा किसी और पर नहीं समझाया जा सकता कि आरोपी दोषी है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 27, 2013, 19:49