Last Updated: Tuesday, November 12, 2013, 18:57
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने माओवादियों के लिये इस्सर समूह से धन लेने के आरोप में गिरफ्तार आदिवासी शिक्षिका सोनी सोरी और पत्रकार लिंगाराम कोडोपी को मंगलवार को जमानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया।
न्यायमूर्ति सुरिन्दर सिंह निज्जर और न्यायमूर्ति एफएम इब्राहीम कलीफुल्ला की खंडपीठ ने सोरी और लिंगाराम को जमानत पर रिहा करने का आदेश देने के साथ ही उन्हें इस मामले की जांच पूरी होने तक छत्तीसगढ़ राज्य में नहीं रहने का भी निर्देश दिया।
छत्तीसगढ़ सरकार के वकील अतुल झा ने दोनों की जमानत अर्जी का विरोध किया लेकिन न्यायालय ने कहा कि यदि किसी अन्य मामले में वे अभियुक्त नहीं हों तो उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया जाये।
इन दोनों ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने आठ जुलाई को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
इन दोनों को छत्तीसगढ़ में इस्सर समूह से माओवादियों की ओर से धन स्वीकार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस के अनुसार लिंगाराम और इस्सर स्टील लि से संबद्ध ठेकेदार बी के लाला को 15 लाख रुपए की नकदी के साथ नौ सितंबर, 2011 को दंतेवाड़ा के पलनार गांव में साप्ताहिक बाजार से गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि ये धन माओवादी छापामारों के लिये था।
पुलिस का दावा था कि सोरी भी लिंगाराम की सहयोगी थी लेकिन वह बच कर निकल गयी थी। सोरी को बाद में 4 अक्तूबर, 2011 को नई दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। इस सिलसिले में इस्सर स्टील लि के महाप्रबंधक डीवीसीएस वर्मा को भी गिरफ्तार किया गया था।
दंतेवाड़ा की जिला अदालत ने वर्मा और ठेकेदार बीके लाला को जमानत दे दी थी। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 12, 2013, 18:57