Last Updated: Friday, November 22, 2013, 21:27
ज़ी मीडिया ब्यूरो पणजी/नई दिल्ली : तहलका के संपादक तरुण तेजपाल के सिर पर शुक्रवार को उस समय गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी, जब गोवा पुलिस ने उनकी एक सहयोगी पत्रकार की शिकायत पर उनके खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कर लिया। पुलिस की अपराध शाखा का एक विशेष जांच दल तेजपाल से पूछताछ करने के लिए दिल्ली में है और पुलिस उसकी गिरफ्तारी से इनकार नहीं कर रही है। वहीं, गोवा से पुलिस की एक टीम आज दिल्ली के लिए रवाना हो गई है।
उधर, तहलका की प्रबंध संपादक शोमा चौधरी ने शुक्रवार को कहा कि पत्रिका के संस्थापक और प्रधान संपादक तरुण तेजपाल के खिलाफ छेड़छाड़ के मामले में कार्रवाई करने में कोई देरी नहीं हुई, और गठित की गई समिति घटना की जांच करेगी। चौधरी ने कहा कि यह कहना गलत है कि देरी हुई है। मुझे औपचारिक शिकायत 18 नवंबर को मिली, और उसमें किए गए अनुरोध के अनुसार तीन दिनों के भीतर कार्रवाई की गई। वहीं, दिल्ली पुलिस की एक टीम संभावित विरोध प्रदर्शन को लेकर तहलका के संपादक तरूण तेजपाल को सुरक्षा प्रदान करने के लिए आज दोपहर यहां उनके निवास पर पहुंची। पुलिस के अनुसार जंगपुरा में तेजपाल के निवास पर एहतियात के तौर पर यह पुलिस टीम तैनात की गयी है । आज दिन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों ने ग्रेटर कैलाश में इस खोजी पत्रिका के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया था।
पुलिस महानिदेशक किशन कुमार ने पणजी में कहा कि बलात्कार और शील हरण के आरोपों में एफआईआर दर्ज की गई है। यह जांच की प्रक्रिया का एक हिस्सा है और अब कानून अपना काम करेगा। उन्होंने बताया कि तेजपाल के खिलाफ धारा 376 (बलात्कार) और 376 (2) अपने रूतबे का फायदा उठाते हुए किसी व्यक्ति द्वारा किसी महिला से बलात्कार के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह पूछे जाने पर कि क्या तेजपाल को गिरफ्तार किया जाएगा, किशन कुमार ने कहा कि जैसा मैंने आपसे कहा यह जांच का हिस्सा है। यह जांच अधिकारियों पर छोड़ देते हैं। यह कानून के तहत एक प्रक्रिया है, जिसके तर्कसंगत परिणाम हैं। मैं नहीं कह सकता कि जांच अधिकारी कैसे करेंगे।
गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार इस तरह के अपराध को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी और हमें इस तरह के हाई प्रोफाइल अपराधों पर प्रहार करना चाहिए। उन्होंने बताया कि गोवा पुलिस ने तहलका को कथित घटना का ब्यौरा देने के लिए जो पत्र लिखा था उसका कोई जवाब नहीं मिला है। उन्होंने घटना की सूचना देने का हौंसला दिखाने के लिए लड़की के साहस की सराहना करते हुए कहा कि मैं यह नहीं कह रहा कि कोई दोषी है, लेकिन लड़की का मेल (उनके कार्यालय को भेजा गया) स्पष्ट है। तेजपाल ने एक बयान जारी कर पुलिस और अन्य अधिकारियों को पूर्ण सहयोग देने की पेशकश की है। पत्रिका की प्रबंध संपादक शोमा चौधरी ने कहा कि वह इस मामले पर पुलिस के पास नहीं जाएंगे क्योंकि इसपर फैसला लेना पीड़िता का काम है।
तहलका द्वारा मामले पर पर्दा डालने की कोशिश संबंधी आरोपों के बारे में पूछे जाने पर चौधरी ने इस मामले में खुद द्वारा उठाए गए कदमों का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने घटना के बारे में तेजपाल के साथ बहुत बहुत गुस्से में झगड़ा किया, जिसके बाद उन्होंने अपने पद से छह माह के लिए हटने का फैसला किया और पीड़िता से माफी मांगी। चौधरी ने कहा कि पुलिस के पास जाने का अधिकार उसका (पीड़िता का) है। मैं अपने आप पुलिस के पास नहीं जा रही हूं। उन्होंने कहा कि वह जब तक इस ओहदे पर हैं, पुलिस के साथ सहयोग करती रहेंगी। जब मेरे लिए सहयोग करना मुश्किल होगा तो नौकरी छोड़ दूंगी रिपीट जब मेरे लिए सहयोग करना मुश्किल होगा तो नौकरी छोड़ दूंगी।
शोमा उस समय ताजा हमले का शिकार बनी, जब उसने तेजपाल के साथ अपनी बातचीत का जिक्र किया, जिसका इस घटना को लेकर ‘अलग ख्याल’ था, जो उनके माफी मांगने के बाद खारिज हो गया। उन्होंने कहा कि मेरे मन में भी गुस्सा और आक्रोश था, लेकिन इस मामले में उनका अलग ख्याल है। यह पूछे जाने पर कि अपनी जांच रिपोर्ट में उच्च मानक स्थापित करने का दावा करने वाला तहलका क्या इस मामले में दोहरा मापदंड अपना रहा है, चौधरी ने कहा कि तीन सदस्यीय समिति बना दी गई है, जो दोनो पक्षों को सुनेगी। उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि आप इस नतीजे पर पहुंच रहे हैं कि यह यौन अपराध और बलात्कार है। एक अन्य सवाल पर कि यह समिति दिखावा मात्र है क्योंकि इसका नेतृत्व तेजपाल की मित्र उर्वशी बूटालिया को सौंपा गया है, शोमा ने कहा कि मीडिया मामले पर समयपूर्व फैसला सुना रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या पत्रिका को मामले की सूचना पुलिस को देनी चाहिए थी, मुख्यमंत्री ने कहा कि वह ऐसा करने के लिए बाध्य हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस को तेजपाल के खिलाफ यौन अपराध के आरोप की जांच करने का पूरा अधिकार है और उन्हें मामले में संबद्ध व्यक्ति के रूतबे की कोई चिंता नहीं करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने मामले की जांच के लिए पुलिस को पूरा अधिकार दिया है। मैंने उनसे कहा है कि इस बात की चिंता न करें कि आरोपी उंचे या नीचे ओहदे का है। ओहदा कोई मायने नहीं रखता। जो मायने रखता है वह है अपराध। आप वही करें जो कानून के अनुसार सही है। तहलका के इस रूख के बारे में पूछे जाने पर कि वह खुद इस मामले की शिकायत नहीं करेंगे, पार्रिकर ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि वह कानूनी स्थिति है। पुलिस मुनासिब कार्यवाही करेगी। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के अनुसार संज्ञेय अपराधों में कानून के अनुसार एफआईआर दर्ज करना पुलिस का दायित्व है। तेजपाल के खिलाफ जिन धाराओं में मामला दर्ज किया गया है उनमें दोषी पाए जाने पर अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। यह पूछे जाने पर कि गोवा पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई है, पुलिस महानिदेशक ने कहा कि अपराध संहिता की धारा 154 के तहत उनके पास संज्ञेय अपराधों में सूचना मिलने पर कार्यवाही करने की शक्ति है। सूचना होने पर हमने खुद ही अपने दम पर कार्यवाही की। यह घटना इस महीने के शुरू में गोवा के एक पंचसितारा होटल की लिफ्ट में हुई।
उप महानिरीक्षक ओ पी मिश्रा ने बताया कि होटल से सीसीटीवी कैमरा की फुटेज कल शाम मिल गई और उसे सहेज लिया गया है। फुटेज की जांच के बाद ही घटना का ब्यौरा मिल सकेगा। तेजपाल ने भी समिति और पुलिस से आग्रह किया है कि वह सीसीटीवी की फुटेज को हासिल करे, उसकी जांच करे और उसे जारी करे ताकि घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा साफ तरह से पता चल सके।
उधर, तहलका के संस्थापक संपादक ने कहा कि मैं पुलिस और अन्य तमाम अधिकारियों को पूरा सहयोग देने की पेशकश करता हूं और इस घटना से जुड़े तमाम तथ्य सौंपने को तैयार हूं। पुलिस इस बारे में तहलका प्रबंधन को पहले ही पत्र लिखकर पीड़िता के ई मेल और तेजपाल के बयान सहित तमाम दस्तावेज की मांग कर चुकी है।
उधर, केंद्र सरकार ने तहलका के संपादक तरूण तेजपाल द्वारा एक युवा पत्रकार का कथित यौन उत्पीड़न करने के मामले में गोवा सरकार से रिपोर्ट मांगी है। गृह मंत्रालय ने अपने पत्र में गोवा के संबंधित अधिकारियों से लगभग 10 दिन पहले एक प्रमुख होटल में कथित यौन उत्पीड़न की घटना पर पुलिस की ओर से उठाये गए कदमों के बारे में स्थिति रिपोर्ट मांगी है।
First Published: Friday, November 22, 2013, 21:25