तहलका यौन उत्‍पीड़न केस: विवाद गहराया, जांच आदेश के बाद तेजपाल की मुश्किलें बढ़ी

तहलका यौन उत्‍पीड़न केस: विवाद गहराया, जांच आदेश के बाद तेजपाल की मुश्किलें बढ़ी

तहलका यौन उत्‍पीड़न केस: विवाद गहराया, जांच आदेश के बाद तेजपाल की मुश्किलें बढ़ीज़ी मीडिया ब्‍यूरो

पणजी : ‘तहलका’ के संपादक तरूण तेजपाल द्वारा अपनी पत्रिका की एक महिला पत्रकार का गंभीर यौन उत्पीड़न करने के मामले ने खास तूल पकड़ ली है। इस मामले में विवाद गहराने के बीच बीजेपी ने तेजपाल को गिरफ्तार करने की मांग की है। इस प्रकरण से तेजपाल की मुश्किलें बढ़ गई हैं। वहीं, कई सामाजिक संगठनों ने गुरुवार को इस मामले की निंदा की और इसकी पूरी जांच एवं मुकदमा चलाने की मांग की।

वहीं, गोवा सरकार ने तहलका के संपादक तरुण तेजपाल के एक महिला पत्रकार सहकर्मी का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न करने के मामले में आज जांच का आदेश दे दिया। वहीं, पत्रिका के इसे आंतरिक मामला बताने के प्रयास को लेकर आज बड़ा विवाद पैदा हो गया। गोवा के पांच सितारा होटल के लिफ्ट में हुई इस घटना की त्वरित जांच कराए जाने की मांग तेज हो गई है। पत्रकारों के संगठनों ने गंभीर यौन उत्पीड़न के आरोपों में मुकदमा चलाए जाने की मांग की है।

एडिटर्स गिल्ड ने एक बयान में कहा कि इस बेहद गंभीर घटना की लीपापोती करने या इसका महत्व कम करने का कोई प्रयास नहीं होना चाहिए। तहलका की प्रबंध संपादक शोमा चौधरी को तेजपाल ने कल रात पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि वह संपादक के काम से खुद को छह महीने के लिए अलग कर रहे हैं। उन्होंने घटना को गलत फैसले का नतीजा बताया था। पत्रिका इस मुद्दे को आंतरिक मामला बताने के लिए निशाने पर आई। गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर ने इस मामले में शीर्ष पुलिस अधिकारियों की सलाह ली। पीड़िता द्वारा अपने कार्यालय को लिखे पत्र में दम होने की प्रथम दृष्टया राय बनने के बाद उन्होंने घटना की प्राथमिक जांच के आदेश दे दिए।

डीआईजी ओपी मिश्रा ने कहा कि मामला पुलिस की अपराध शाखा को सौंपा गया है। उसने होटल के सीसीटीवी फुटेज हासिल कर लिए हैं। उन्होंने तहलका से लड़की की शिकायत की प्रति की भी मांग की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि घटना संभवत: होटल के लिफ्ट में हुई। उन्होंने कहा कि पीड़िता का पत्र इस बात का संकेत देता है कि यह बलात्कार का प्रयास था। महिला कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने चौधरी के इस दावे पर हमला बोला कि यह आंतरिक मामला है। उन्होंने मांग की कि कानून अपना काम करे क्योंकि यह अपराध का मामला है। चौधरी ने कहा कि इसे आंतरिक मामला रखा गया क्योंकि यह पीड़िता की इच्छा थी। पीड़िता तेजपाल की माफी से संतुष्ट थी।

उन्होंने कहा कि मेरी समझ है कि वह चाहती थी कि माफी मांगी जाये और ऐसा कर दिया गया। उन्होंने (तेजपाल ने) इस्तीफा दे दिया। इसकी उसने मांग नहीं की थी। वह जो चाहती थी यह उससे काफी अधिक है। चौधरी ने कहा कि वे घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित करने की प्रक्रिया में हैं। टेलीविजन चैनलों पर पीड़िता के हवाले से बताया गया कि वह अपने कार्यालय की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है। उसने शिकायत की कि उसका पत्र कर्मचारियों को वितरित नहीं किया गया था। महिला अधिकार कार्यकर्ता कविता कृष्णन ने कहा कि वह पीड़िता के संपर्क में हैं, जो माफी मांगे जाने और तहलका की कार्रवाई से बिल्कुल संतुष्ट नहीं है।

घटना की कड़ी निंदा करते हुए इंडियन वुमेन्स प्रेस कॉर्प्स ने कहा कि मीडिया समुदाय के अंदर उत्पीड़न की कई घटनाएं होती हैं जो प्रतिशोध या बदनामी के भय से बाहर नहीं आतीं। इसने विशाखा दिशानिर्देशों को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए आंतरिक शिकायत समितियों के गठन सहित मीडिया संगठनों के अंदर कई कदम उठाने के सुझाव दिए।

भाजपा ने मांग की कि तेजपाल को प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिए। तहलका के स्टिंग ऑपरेशन की वजह से भाजपा के एक अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण को पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। भाजपा प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कहा कि मैं चाहूंगी कि गृह मंत्री प्राथमिकी दर्ज किए जाने और तेजपाल की तत्काल गिरफ्तारी सुनिश्चित करेंगे। तहलका प्रबंधन इस मुद्दे से जिस तरीके से निपटा उसको लेकर महिला कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ पत्रकारों ने असंतोष जताया। उन्होंने चौधरी की ओर से दिए गए बयान की आलोचना की। चौधरी ने कहा था कि यह पुलिस मामला नहीं है और संगठन इससे पीड़िता की संतुष्टि के अनुरूप निपट लेगा। दिल्ली पुलिस की पूर्व शीर्ष अधिकारी किरण बेदी और जानी मानी वकील पिंकी आनंद ने कहा कि यह साफ तौर पर अपराध का मामला है और पुलिस इसका स्वत: संज्ञान ले सकती है। आनंद ने कहा कि तेजपाल को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पीड़िता को शिकायत देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता और पुलिस स्वत: कार्रवाई कर सकती है। बेदी ने कहा कि अपराध किया गया है और पुलिस को स्वत: कार्रवाई करनी चाहिए।

महिला अधिकार कार्यकर्ता कविता कृष्णन ने कहा कि महिला कर्मचारी की शिकायत के प्रति तहलका की प्रतिक्रिया अपर्याप्त है और वास्तव में स्तब्ध करने वाली है। उन्होंने कहा कि यह इसलिए हैरत में डालने वाली है क्योंकि शिकायत यौन उत्पीड़न के संबंध में थी और उसने कहा है कि यौन उत्पीड़न करने की बात तेजपाल के द्वारा स्वीकार किए जाने को सभी तहलका कर्मचारियों को सार्वजनिक तौर पर वितरित किया जाए, लेकिन वैसा नहीं हुआ।

उन्होंने कहा कि हमें श्री तेजपाल को यह बताने की आवश्यकता है कि प्रायश्चित उचित प्रक्रिया और दंड का विकल्प नहीं है। वरिष्ठ पत्रकार एन राम ने कहा कि यह मुद्दा देश के कानून के तहत अपराध से जुड़ा है और कानून को अपना काम करना चाहिए।

राम ने कहा कि महिलाओं के आंदोलन को पीड़िता के मामले को उठाना चाहिए और शोर मचाना चाहिए ताकि मुद्दे से सही तरीके से निपटा जाए। एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन ने भी कहा कि कथित घटना कानून का उल्लंघन है और पुलिस को उसी अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि तहलका संपादक के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोप ‘स्तब्धकारी और शर्मनाक’ हैं और उसने पूर्ण जांच और अभियोग चलाने की मांग की। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एन. रवि ने एक बयान में कहा कि कहीं भी हो रहीं इस तरह की घटनाएं निंदनीय हैं लेकिन गिल्ड इसलिए दुखी है कि यह एक मीडिया संगठन में हुआ है। बयान में कहा गया है कि गिल्ड का सिद्धांत है कि मीडिया जो सार्वजनिक जीवन के लोगों को जिम्मेदार बनाने के कार्य में संलग्न है, उसे भी उच्चतम स्तर का चरित्र एवं व्यवहार बनाए रखना चाहिए। इसने कहा कि जिस तरह के व्यवहार के आरोप लगाए जा रहे हैं वह गंभीर किस्म के यौन उत्पीड़न का है। यह युवा महिला पत्रकारों की अरक्षितता को भी सामने लाता है जिन्हें इस तरह के उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करने और बिना किसी डर के अपना करियर आगे बढ़ाने के लिए मुक्त किए जाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि इस बेहद गंभीर घटना की लीपापोती या उसका महत्व कम करने की कोई कोशिश नहीं होनी चाहिए। स्वघोषित प्रायश्चित और एक अवधि के लिए खुद को काम से अलग कर लेना उन आरोपों के लिए समाधान नहीं है जो सीधे तौर पर अपराधिता दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि इस जांच और मुकदमे में कानून की पूरी ताकत लगाई जानी चाहिए। पीड़िता की निजता और संवेदनशीलता पर उचित ध्यान दिया जाना चाहिए, जो पहले ही गंभीर कष्ट का सामना कर रही है।

उधर, तहलका के संपादक तरूण तेजपाल के अपने कनिष्ठ सहयोगी का यौन उत्पीड़न करने के खुलासे के बाद उन्हें प्रसार भारती बोर्ड की सदस्यता गंवानी पड़ी है। सूत्रों ने बताया कि उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी के नेतृत्व वाली एक समिति ने गत मंगलवार को तेजपाल को प्रसार भारती बोर्ड का सदस्य चुना था।

वहीं, महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ पत्रकारों ने तहलका पत्रिका के संपादक तरूण तेजपाल द्वारा कथित रूप से एक महिला पत्रकार के साथ यौन र्दुव्‍यवहार किए जाने के मामले से निपटने में पत्रिका प्रबंधन के रवैए पर आज असंतोष जताया। उन्होंने कहा कि कानून को अपना काम करना चाहिए क्योंकि यह कोई आंतरिक मामला नहीं है। उन लोगों ने तहलका के प्रबंध संपादक शोमा चौधरी के बयानों की आलोचना भी की जिन्होंने कहा था कि यह पुलिस मामला नहीं है और संगठन इससे ऐसे तरीके से निपटेगा कि पीड़ित संतुष्ट हो सके।

वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग ने आज कहा कि तहलका मामले में कथित रूप से यौन उत्पीड़न की शिकार हुई महिला पुलिस के पास औपचारिक शिकायत दर्ज कराए। आयोग की सदस्य निर्मला सामंत प्रभावल्कर ने कहा कि हमने उनके जो ई-मेल पढ़े हैं उससे यह मामला उनकी लज्जा छिनने से भी बड़ा लगता है, हालांकि उनके ई-मेल का अभी सत्यापन होना है। यह गंभीर मुद्दा है और विशाखा दिशा-निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि हालांकि लड़की व्यक्तिगत रूप से हमसे नहीं मिली, लेकिन वह न्याय पाने को इच्छुक लग रही है। उसे आगे बढ़ कर प्राथमिकी दर्ज करानी चाहिए।

First Published: Friday, November 22, 2013, 00:46

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