Last Updated: Wednesday, February 5, 2014, 21:53

नई दिल्ली : तेलंगाना के गठन का विरोध करते हुए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री किरन कुमार रेड्डी आज अपना आंदोलन राष्ट्रीय राजधानी ले आये। उन्होंने यहां धरना दिया और राज्य का बंटवारा रोकने का आग्रह करने के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिले। आंध्र प्रदेश में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री रेडडी नये राज्य के गठन के विरोध का प्रदर्शन करने के लिए पांच घंटे से अधिक समय तक जंतर मंतर पर धरने पर बैठे।
रेडडी ने आज ऐसे दिन आंदोलन नयी दिल्ली में किया, जब संसद का विस्तारित शीतकालीन सत्र आज ही शुरू हुआ। केन्द्र सरकार तेलंगाना विधेयक पारित कराना चाहती है। सीमांध्र क्षेत्र के कई राज्य मंत्री और विधायक भी रेडडी के साथ धरने पर बैठे। केन्द्रीय मंत्री एम पल्लम राजू, के संबा सिवा राव, डी पुरंदेश्वरी और किल्ली कृपारानी भी थोडे समय के लिए आये। धरने के बाद रेडडी रष्ट्रपति से मिलने राष्ट्रपति भवन गये।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, हमने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए अपने अधिकारों का इस्तेमाल करें कि राज्य का कोई बंटवारा न हो .. हमने आग्रह किया है कि राज्य को अविभाजित रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के 75 से 80 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि राज्य अविभाजित रहे। जनता की यही इच्छा प्रदेश विधानसभा द्वारा राज्य के बंटवारे के प्रस्ताव को नामंजूर करने के रूप में देखने को मिली। रेडडी ने कहा कि यदि राज्य का बंटवारा किया गया तो तेलंगाना और सीमांध्र दोनों ही क्षेत्रों को कई समस्याओं का सामना करना पडेगा।
रेडडी ने कहा कि राज्य का बंटवारा क्षेत्र की बेहतरी के लिए होना चाहिए लेकिन इस बंटवारे से स्थिति खराब होगी। उन्होंने कहा कि तेलंगाना के लोग पानी की कमी का सामना करने जा रहे हैं। तेलंगाना 11 लाख क्यूसेक पानी खो देगा। बिजली की समस्या भी आएगी। सीमांध्र में भी शिक्षा को लेकर दिक्कतें आएंगी, जो फिलहाल हैदराबाद में केन्द्रित है।
इससे पहले सुबह रेडडी महात्मा गांधी की समाधि राजघाट गये और राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि दी। उसके बाद जंतर मंतर पर धरना शुरू किया। के संबासिवा राव ने कहा कि केन्द्र सरकार को आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक पेश नहीं करना चाहिए। यह पूछने पर यदि सरकार विधेयक पेश करती है तो अगला कदम क्या होगा, राव ने कहा कि समय आने पर तय किया जाएगा। केन्द्रीय मंत्री पल्लम राजू ने आरोप लगाया कि यह विधेयक लोकतांत्रिक नियमों के खिलाफ आगे बढाया जा रहा है। अपने मौजूदा स्वरूप में यह विधेयक किसी भी क्षेत्र के साथ न्याय नहीं करता। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, February 5, 2014, 21:53