Last Updated: Friday, December 13, 2013, 18:44
हैदराबाद : आंध्र प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों में तेलंगाना क्षेत्र के विधायकों ने दलगत भावना से ऊपर उठकर प्रदेश के विभाजन के विधेयक पर तत्काल बहस कराए जाने की मांग की, जिस दौरान सदन की कार्यवाही हंगामेदार रही। इधर, सीमांध्र (रायलसीमा और तटीय आंध्र प्रदेश) के विधायकों ने राज्य के विभाजन को रोकने के लिए एक प्रस्ताव पारित करने की मांग की।
तेलंगाना और सीमांध्र के विधायक अपनी सीटों से खड़े हो गए और अध्यक्ष की आसंदी के नजदीक पहुंचकर हंगामा करने लगे। इस पर विधानसभा में कार्यवाही दो बार और विधान परिषद की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित हो गई। केंद्र सरकार ने गुरुवार रात विशेष विमान से आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2013 को आंध्र प्रदेश भेजा था। तेलंगाना के विधायक इस पर तुरंत चर्चा कराने की मांग करने लगे। विधेयक मुख्य सचिव को सौंप दिया गया है, जो अभी तक विधानसभा में नहीं पहुंचा है।
इस देरी से परेशान तेलंगाना के मंत्रियों ने मुख्यमंत्री एन किरन कुमार रेड्डी और विधानसभा अध्यक्ष नादेंदला मनोहर से इस विधेयक को जल्द पेश करने की मांग की। तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के नेताओं ने अध्यक्ष से बात कर मुख्य सचिव के खिलाफ विशेषाधिकार नोटिस जारी करने की बात कही। टीआरएस नेता हरीश राव ने संवाददाताओं से कहा कि मुख्य सचिव पीके मोहंती राष्ट्रपति द्वारा विधेयक को सदन में जल्द भेजे जाने के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं। तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी अध्यक्ष से मुलाकात की और उनसे विधेयक पर जल्द चर्चा कराने के लिए अनिवार्य कदम उठाने की मांग की।
मुख्यमंत्री जहां तेलंगाना गठन का खुला विरोध कर रहे हैं, वहीं सत्तारूढ़ पार्टी के तेलंगाना क्षेत्र के नेता इस पर जल्द चर्चा कराने का दबाव बना रहे हैं। दूसरी तरफ सीमांध्र के कांग्रेस नेताओं ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर विधेयक पर उनकी रणनीति पर बातचीत की। विधानसभा अध्यक्ष के सदन में पहुंचने से पहले से ही सदन में हंगामा हो रहा था। कांग्रेस विधायक सहित सभी दलों के सदस्यों ने अध्यक्ष की आसंदी के पास नारेबाजी की। तेलंगाना क्षेत्र के विधायकों ने `वी वांट तेलंगाना` और सीमांध्र के विधायकों ने `जय समैक्यआंध्र` का नारा लगाया। अध्यक्ष ने तेलंगाना विधेयक पर चर्चा के लिए टीआरएस के सदस्यों द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।
इधर, तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के विधायक तेलंगाना गठन पर केंद्र और राज्य के रवैये पर चर्चा कराने की मांग कर रहे थे। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने संयुक्त आंध्र प्रदेश के समर्थन में प्रस्ताव पारित करने के लिए स्थगन प्रस्ताव की मांग की। सभी स्थगन प्रस्तावों को खारिज करने के बाद अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी। जब सदन में कार्यवाही शुरू हुई, परिस्थिति में कोई बदलवा नहीं हुआ, लिहाजा उन्होंने सदन को फिर आधे घंटे के लिए स्थगित कर दिया।
यही दृश्य विधान परिषद में भी देखा गया, जहां अध्यक्ष ए.चक्रपाणी ने सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी। सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर हंगामा बरकरार रहा, जिसे देखते हुए सदन पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार रात विधेयक को विधानसभा भेजा था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने विशेष विमान से विधेयक को आंध्र पहुंचाया था। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस विधेयक पर विधायकों की राय के साथ इसे 23 जनवरी तक वापस भेजने का समय दिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पांच दिसंबर को इसे मंजूरी दे दी थी और इसे राष्ट्रपति के पास भेज कर संविधान के अनुच्छेद तीन के तहत इसे विधानसभा में भेजने का आग्रह किया था। (एजेंसी)
First Published: Friday, December 13, 2013, 18:44