Last Updated: Sunday, October 13, 2013, 15:32
कानपुर : दशहरे पर यूं तो पूरे देश में अच्छाई पर बुराई की विजय के रूप में भगवान राम की पूजा हो रही है। लेकिन कानपुर के शिवाला इलाके में एक मंदिर ऐसा है, जहां शक्ति के प्रतीक के रूप में आज रावण की पूजा होती है।
‘दशानन मंदिर’ के दरवाजे साल में केवल एक बार दशहरे के दिन ही सुबह नौ बजे खुलते हैं और मंदिर में लगी रावण की मूर्ति का श्रृंगार किया जाता है और उसके बाद रावण की आरती उतारी जाती है तथा शाम को दशहरे में रावण के पुतला दहन के पहले इस मंदिर के दरवाजे एक साल के लिये बंद कर दिये जाते है।
मंदिर में होने वाले समस्त कार्यक्रमों के संयोजक केके तिवारी ने आज ‘भाषा’ को बताया कि शहर के शिवाला इलाके में कैलाश मंदिर परिसर में मौजूद विभिन्न मंदिरों में भगवान शिव मंदिर के पास ही लंका के राजा रावण का मंदिर है। यह मंदिर करीब 123 साल पुराना है और इसका निर्माण महाराज गुरू प्रसाद शुक्ल ने कराया था।
उनका दावा है कि शाम तक रावण के इस मंदिर में करीब 15 हजार श्रद्धालु रावण की पूजा, अर्चना करने आयेंगे। तिवारी बताते है कि इस मंदिर को स्थापित करने के पीछे यह मान्यता थी कि रावण प्रकांड पंडित होने के साथ साथ भगवान शिव का परम भक्त था। इसलिये शक्ति के प्रहरी के रूप में यहां कैलाश मंदिर परिसर में रावण का मंदिर बनाया गया था। (एजेंसी)
First Published: Sunday, October 13, 2013, 15:32