Last Updated: Friday, December 27, 2013, 20:42
लखनऊ : ठंड से मौत नहीं होने के गृह विभाग के प्रमुख सचिव के बयान पर बवाल के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह मुजफ्फरनगर दंगा राहत शिविरों में रह रहे लोगों को खाली पड़े सरकारी भवनों में भेजेगी।
मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने यहां संवाददाताओं को बताया कि हमने दंगा राहत शिविरों में रह रहे लोगों को खाली पड़े सरकारी भवनों में रखने की प्रक्रिया शुरू की है, ताकि उन्हें छत मिल सके। इसके अलावा उन्हें ठंड से बचाव के लिये कम्बल तथा अलाव इत्यादि के इन्तजाम भी किये जा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि शिविरों में रह रहे लोगों को जबरन स्थानान्तरित नहीं किया जाएगा, जिनकी मर्जी होगी उन्हें ही दूसरी जगह भेजा जाएगा।
उस्मानी मेरठ और सहारनपुर के मंडलायुक्तों तथा शामली, मेरठ, बागपत एवं मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारियों के साथ बैठक में राहत शिविरों की स्थिति की समीक्षा करने के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस वक्त पांच राहत शिविर बने हैं। उनमें एक श्रेणी उन लोगों की है जो दंगा प्रभावित नौ गांवों के रहने वाले हैं और वे अपने घर नहीं लौटना चाहते। सरकार ने उन लोगों की चिंताओं का संज्ञान लिया है।
मुख्य सचिव ने कहा कि राहत शिविरों में एक श्रेणी ऐसे लोगों की है जिन्होंने सरकार से पांच लाख रुपए लिये हैं और अभी यह नहीं तय कर सकें हैं कि वे कहां जाएं। इसके अलावा ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने पांच लाख रुपये लिए लेकिन इसे लेकर उनके परिवार में मतभेद हैं। उन्होंने कहा कि राहत शिविरों में रह रहे लोगों को कुछ अन्य लोग यह कहकर भ्रमित कर रहे हैं कि वे वहीं रुकें और कुछ दिनों बाद उन्हें उसी स्थान पर रहने की इजाजत मिल जाएगी। (एजेंसी)
First Published: Friday, December 27, 2013, 20:42