Last Updated: Saturday, October 5, 2013, 19:48
नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने 1997 के उपहार अग्निकांड मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी अमोद कंठ की अपराध में कथित भूमिका के लिए आरोप तय करने के लिए दलीलें सुनने के लिए 30 नवम्बर की तिथि तय की है।
मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट लोकेश कुमार शर्मा ने सुनवायी की तिथि तब तय की जब उपहार पीड़ितों के संघ ने यह सूचित किया कि उच्च न्यायालय ने कंठ की वह याचिका खारिज कर दी है जो उन्होंने स्वयं को सम्मन करने वाले निचली अदालत के वर्ष 2010 के आदेश के खिलाफ दायर की थी। कंठ पर आरोप है कि उन्होंने उपहार सिनेमा हाल में अतिरिक्त सीटें लगाने की इजाजत दी जहां पर लगी आग में 59 दर्शकों की मौत हो गई थी।
इससे पहले मजिस्ट्रेटी अदालत ने तब कोई आदेश पारित करने से परहेज किया था जब उसे यह सूचित किया गया उच्च न्यायालय के समक्ष भी ऐसा ही मामला विचाराधीन है और उसने कंठ को सम्मन करने संबंधी फैसला सुरक्षित रख लिया है।
उच्च न्यायालय ने गत तीन अक्तूबर को कंठ की याचिका खारिज करते हुए उनकी वह दलील भी खारिज कर दी कि उनके खिलाफ उपहार सिनेमा हाल में कथित तौर पर सीटें बढ़ाने की इजाजत देने के लिए मामला नहीं चलाया जा सकता क्योंकि ‘अभियोजन चलाने की अनुमति’ प्राप्त नहीं की गई है
अदालत का यह निर्देश कंठ के खिलाफ सुनवायी के दौरान आया जिनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304ए, 337, 338 और सिनेमेटोग्राफी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है। 13 जून 1997 में उपहार सिनेमा हॉल में हिंदी फिल्म ‘बार्डर’ के प्रदर्शन के दौरान आग लग गई थी जिसमें 59 लोगों की दम घुटने से मौत हो गई थी जबकि 100 अन्य घायल हो गए थे।
एक निचली अदालत ने अगस्त 2010 में सीबीआई की वह रिपोर्ट खारिज कर दी जिसमें कंठ को इस हादसे में कथित भूमिका से दोषमुक्त करार दिया था। उपहार सिनेमा पीड़ितों की एक याचिका पर निचली अदालत के न्यायाधीश ने कंछ को 12 अगस्त 2010 को सम्मन किया था। अदालत ने कहा था कि कंठ के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मुकदमा चलाने के लिए प्रयाप्त सामग्री है। अदालत ने कहा था कि अदालत के खिलाफ सिनेमेटोग्राफी कानून के तहत मुकदमा चलाने के लिए प्रथम दृष्टया सबूत है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, October 5, 2013, 19:48