Last Updated: Wednesday, January 22, 2014, 18:36
देहरादून : उत्तराखंड की विजय बहुगुणा सरकार भले ही संसद द्वारा पारित लोकपाल की तर्ज पर विधानसभा में नया लोकायुक्त विधेयक पास करवा कर अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता भुवनचंद्र खंडूरी ने इसे राज्य के लोगों के साथ धोखा करार दिया है।
खंडूरी ने एक विशेष साक्षात्कार में विधानसभा में मंगलवार को पारित हुए नए लोकायुक्त विधेयक की बाबत कहा, ‘यह राज्य के लोगों के साथ धोखा है। नए लोकायुक्त विधेयक के प्रावधानों के तहत एक ऐसी शक्तिहीन भ्रष्टाचार विरोधी संस्था का गठन होगा जो केवल भ्रष्टाचार को संरक्षण और बढ़ावा ही देगी।’ खंडूरी के कार्यकाल में ही उत्तराखंड विधानसभा ने 31 अक्टूबर, 2011 को सर्वसम्मति से पहला लोकायुक्त विधेयक पारित किया गया था।
नए विधेयक को भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को बचने में मदद देने का एक हथियार बताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार को मिटाने के प्रति अगर राज्य सरकार की मंशा साफ होती, तो वह पहले उनके कार्यकाल में सर्वसम्मति से पारित किये गये और राष्ट्रपति द्वारा मंजूर किए गए लोकायुक्त कानून को लागू करती।
खंडूरी ने कहा, ‘मेरे कार्यकाल में पारित हुए लोकायुक्त विधेयक में भ्रष्टाचार विरोधी संस्था को पूरी स्वायत्तता दी गयी थी और और इसे सभी प्रकार के राजनीतिक हस्तक्षेप से दूर रखते हुए मुख्यमंत्री और निचली न्यायपालिका सहित सभी पदों को इसके दायरे में रखा गया था।’ उन्होंने कहा कि इसे गत वर्ष सितंबर में राष्ट्रपति ने भी अपनी मंजूरी दे दी लेकिन राज्य सरकार ने जानबूझकर इसे लागू नहीं किया और इसकी जगह एक नया लोकायुक्त विधेयक पारित करा दिया क्योंकि उसकी मंशा साफ नहीं थी।
नए विधेयक के अनुसार, लोकायुक्त के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय चयन समिति की संस्तुति के आधार पर की जायेगी जबकि मुख्यमंत्री के पद को लोकायुक्त के दायरे में रखा गया है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, January 22, 2014, 18:36