ब्लूस्टार की बरसी पर स्वर्ण मंदिर परिसर में दो गुटों के बीच झड़प, 12 घायल

ब्लूस्टार की बरसी पर स्वर्ण मंदिर परिसर में दो गुटों के बीच झड़प, 12 घायल

ब्लूस्टार की बरसी पर स्वर्ण मंदिर परिसर में दो गुटों के बीच झड़प, 12 घायलअमृतसर : ऑपरेशन ब्लूस्टार की 30वीं बरसी के मौके पर स्वर्ण मंदिर परिसर के भीतर दो गुटों के बीच करीब आधे घंटे तक झड़प चलती रही जिसमें कम से कम 12 लोग घायल हो गए। इसकी बरसी के अवसर पर धार्मिक नगरी में बंद रखा गया।

स्वर्ण मंदिर परिसर के भीतर अकाल तख्त भवन के बाहर वीडियो फुटेज में लोगों को तलवार, भाले एवं लाठियां लिये झगड़ते हुए एवं एक दूसरे का पीछा करते हुए देखा गया है। कुछ अन्य अपनी सुरक्षा के लिए भागते हुए दिखायी दे रहे थे। अमृतसर पुलिस आयुक्त जतिंदर सिंह औलख ने बताया कि हालात उस समय बिगड़ गए जब शिअद प्रमुख एव पूर्व आईपीएस सिमरनजीत सिंह मान ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर अकाल तख्त के मंच से खालिस्तान समर्थक नारे लगाने का प्रयास किया।

उन्होंने बताया कि मान को लोगों को संबोधित करने से रोका गया जिसके बाद शिअद कार्यकर्ताओं और शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के पहरेदारों के बीच झड़प हो गई। हिंसा के दौरान तलवारों का इस्तेमाल किया गया जिसके कारण एसजीपीसी कार्यबल के पांच सदस्य घायल हो गए। औलख ने बताया कि कार्य बल स्वर्ण मंदिर परिसर में सुरक्षा एवं अन्य मामले देखता है और वहां पुलिसकर्मियों को जाने की अनुमति नहीं है। उन्होंने बताया कि स्थिति को शांत करवाया गया और हालात अब नियंत्रण में हैं।

संपर्क करने पर अकाल तख्त के ज्ञानी गुरबचन सिंह ने बताया कि घटना की जांच की जा रही है। उन्होंने बताया, ‘प्राथमिक खबरों से सुझाव मिलता है कि कुछ शरारती तत्व इसके लिए जिम्मेदार हैं।’ अधिकारी ने बताया कि स्वर्ण मंदिर में धार्मिक कर्मकांड बाधित नहीं हुआ है।

मान ने एसजीपीसी और सत्तारूढ़ अकाली दल सरकार पर सिख समुदाय के समक्ष उपस्थित मुद्दों पर ध्यान नहीं देने और इन समस्याओं पर प्रस्ताव लाने की मांग करने वाले समूहों को निशाना बनाने का आरोप लगाया। स्वर्ण मंदिर के नाम से लोकप्रिय हरमंदिर साहिब के संगमरम्मर से बने अकाल तख्त में ऑपरेशन ब्लूस्टार की बरसी के मौके पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

गौर हो कि जरनैल सिंह भिंडरावाले के नेतृत्व वाले सिख अतिवादियों को स्वर्ण मंदिर से बाहर निकालने के लिए छह जून 1984 को ऑपरेशन ब्लूस्टार चलाया गया था। इस अभियान के दौरान भिंडरावाले और उसके साथी मारे गए थे।

इस अभियान के पांच माह बाद प्रतिक्रिया स्वरूप इंदिरा गांधी की उनके निवास पर उनके सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी। दिन में मान समर्थकों ने खालिस्तान समर्थक नारे लगाये। समस्या उस समय शुरू हुई जब अकाल तख्त के प्रमुख ने कार्यक्रम को संबोधित करना शुरू किया और मान ने उन्हें रोकने की चेष्टा की। इस दौरान मची अफरा तफरी में श्रद्धालु घबरा कर सुरक्षित स्थानों की तलाश में दौड़ने लगे। कट्टरपंथी संगठन दल खालसा के बंद के आह्वान के मद्देननजर अमृतसर में विभिन्न स्थानों पर दंगा रोधी पुलिस के 1500 कर्मियों को तैनात किया गया है। (एजेंसी)

First Published: Friday, June 6, 2014, 12:49

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