...जहां सच साबित हुआ था सपना और मिली थी सोने की प्रतिमा । ...where dream has come true and gold statue of bansidhar was found

...जहां सच साबित हुआ था सपना और मिली थी सोने की प्रतिमा

...जहां सच साबित हुआ था सपना और मिली थी सोने की प्रतिमारांची : उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के डौंडियाखेड़ा में एक सपने के आधार पर खजाने की खोज में चल रही खुदाई को लेकर भले ही देश में बहस-मुबाहिसे हो रहे हों, लेकिन झारखंड के गढ़वा जिले में बंशीधर मंदिर में स्थापित करीब 1,280 किलोग्राम सोने से निर्मित भगवान कृष्ण की मूर्ति को सपने के आधार पर ही पहाड़ी से खुदाई कर निकाला गया है।

गढ़वा जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर नगर उंटारी में बंशीधर मंदिर स्थित है। इस मंदिर में सैकड़ों वर्ष पुरानी श्रीकृष्ण की अद्वितीय 4.5 फुट ऊंची और कथित तौर पर लगभग 1,280 किलोग्राम सोने से निर्मित अत्यंत मनमोहक प्रतिमा अवस्थित है। इस प्रतिमा में भगवान कृष्ण शेषनाग के फन पर निर्मित 24 पंखुड़ियों वाले विशाल कमल पर विराजमान है।

मंदिर के प्रस्तर लेखों और पहले पुजारी दिवंगत सिद्धेश्वर तिवारी द्वारा लिखी गई पुस्तक के अनुसार, विक्रम संवत 1885 में नगर उंटारी के महाराज भवानी सिंह की विधवा रानी शिवमानी कुंवर ने लगभग 20 किमी दूर शिवपहरी पहाड़ी में दबी पड़ी इस कृष्ण प्रतिमा के बारे में सपना देखकर ही जाना था।

कृष्ण की भक्ति में डूबी रहने वाली रानी ने एक बार कृष्णाष्टमी का व्रत किया था और उसी रात भगवान ने उन्हें दर्शन दिए। इसके बाद सपने में ही भगवान ने कहा कि कनहर नदी के किनारे शिवपहरी पहाड़ी में उनकी प्रतिमा गड़ी है और कृष्ण ने रानी से यह प्रतिमा राजधानी लाने के लिए कहा। सपने में ही रानी को उस प्रतिमा के दर्शन भी हुए। इस सपने के बाद सुबह रानी अपने सेना के साथ उस पहाड़ी पर गईं और पूजा-अर्चना के बाद रानी के बताए गए स्थान पर खुदाई प्रारंभ हुई। खुदाई के दौरान रानी को बंशीधर की अद्वितीय प्रतिमा मिली। इस प्रतिमा को हाथी पर रखकर नगर उंटारी लाया गया। रानी इस प्रतिमा को अपने गढ़ में स्थापित करना चाहती थीं, परंतु गढ़ के मुख्य द्वार पर हाथी बैठ गया और लाख प्रयास के बाद भी वह हाथी यहां से नहीं उठा।

पुस्तक के अनुसार, राजपुरोहित के परामर्श के बाद रानी ने उसी स्थान पर प्रतिमा स्थापित कर वहां मंदिर बनवाया। कहा जाता है कि पहाड़ी पर मिली प्रतिमा केवल श्रीकृष्ण की थी। इस कारण कालांतर में वाराणसी से राधा की अष्टधातु की प्रतिमा भी बनावाकर यहां लाई गई, और भगवान कृष्ण की प्रतिमा के बामांग में पूरे धार्मिक रीति-रिवाज के साथ स्थापित की गई।

मंदिर के वर्तमान पुजारी ब्रजकिशोर तिवारी ने आईएएनएस को बताया कि इस मंदिर में प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रहती है। नगर उंटारी राज परिवार के संरक्षण में यह मंदिर प्रारंभ से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। उन्होंने बताया कि यहां प्रतिवर्ष फाल्गुन महीने में एक महीने तक मेले का आयोजन होता है। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, October 22, 2013, 11:02

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