आपकी मेड कहीं फ्राड तो नहीं

आपकी मेड कहीं फ्राड तो नहीं

क्राइम रिपोर्टर/ज़ी मीडिया ब्यूरो

दिल्ली एनसीआर में प्लेसमेंट एजेसी की आड़ में धोखाधड़ी करने वाला गिरोह पिछले कुछ दिनों से काफी सक्रिय हो गया है। यह गिरोह कहीं बिना काम किए तो कहीं घर की सफाई कर रफूचक्कर हो जाता है। लेकिन पुलिस की उदासीन रवैयै के चलते यह गिरोह बिना रोक-टोक के धोखाधड़ी की वारदात को अंजाम दे रहा है।

कहीं बसंती, कहीं संगीता, कही अणु, कहीं सीमा तो कहीं पूर्णिमा। ये सभी कभी नाम बदल कर तो कभी अपना ठिकाना बदलकर दिल्ली एनसीआर में घूम रही हैं। अगर आप अपने घर में काम करने वाली मेंड सर्वेंट रखते हैं तो ये खबर आपके लिए है। इसलिए जरा सावधान हो जाएं। ये कभी भी आपके घर दस्तक दे सकती हैं। क्योंकि आपकी चूक आपको परेशानी में डाल सकती है। प्लेसमेंट से आई मेड सर्वेंट को रखने से पहले प्लेसमेंट एजेंसी के बारे में पूरी जानकारी हासिल करे लें। क्योंकि ये महिलाएं फर्जी प्लेसमेंट एजेंसी की आड़ में धोखाधड़ी की वारदात को धड़ल्ले से अंजाम दे रही हैं।

ये महिलाएं अकेली नहीं होती हैं, इनके पुरुष साथी भी इनके साथ होते हैं। एक महिला तो एक बार नही बल्कि पूरे पांच बार इस तरह के गिरोह की जाल में फंस गई। पेशे से डॉक्टर सविता दिल्ली से लगे गाजियाबाद के साहिबाबद में अपने परिवार के साथ रहती हैं। तबीयत खराब रहने के चलते उन्हें अक्सर मेड की जरूरत रहती है। लेकिन पांच बार धोखा खाने के बाद ये मेड से तौबा कर चुकी हैं।

दरअसल सविता के घर में चार पांच महीने पहले एक मेड काम करती थी। लेकिन एक साल का कॉन्ट्रेक्ट खत्म होने के बाद ये इन्हें अपने किसी जानकार के माध्यम से एक प्लेसमेंट एजेसी का फोन नंबर मिला। उन्होंने फोन कर एक मेड बुलाया। और अगले कुछ घंटे होते ही इनके घर एक शख्स मेड लेकर पहुंच गया। मेड रखवाने के बाद बकायदा कान्ट्रेक्ट फार्म भरवाया और 25000 हजार रुपए लेकर वह चला गया। रात भर रहने के बाद अगले दिन सुबह मौके पाते ही मेड भाग गई। मेड के जाने के बाद सविता ने तुरंत प्लेसमेंट एजेंसी के फार्म पर छपे नंबर को फोन किया तो प्लेसमेंट एजेंसी वाले बताया कि वह लड़की उनके पास नहीं आई और प्लेसमेंट एजेंसी वाले उन्हें दूसरी लड़की भेजने का वादा किया। लेकिन दूसरी लड़की नहीं भेजी।

इसी दौरान सविता के पास दूसरे प्लेसमेंट एजेंसी से फिर से फोन आने शुरू हो गए। दूसरे प्लेसमेंट एजेंसी से दूसरी लड़की आई। इस प्लेसमेंट एजेसी वाले ने स्वेता से सिक्यीरिटी एमांउट के रूप में इनसे 35000 रुपए लिए और एक महीना काम करने के बाद सविता गर्ग का भरोसा जीत लिया। फिर स्वेता को एक और लड़की की जरूरत पड़ी। इस लड़की को उन्हें अपनी बहन के यहां भेजना था। दूसरी लड़की के आने के बाद सविता ने लड़की को पंजाब अपनी बीमार बहन के यहां भेज दिया।
इस दौरान सविता के घर में काम करने वाली मेड मौका पाते ही सविता के घर से कुछ रुपए और जेवर लेकर भाग गई। और उधर दूसरी लड़की भी पंजाब में सविता की बहन के यहां नशीला पद्दार्थ मिलाकर घर का समान और कुछ पैसे लेकर फरार हो गई।

धोखाधड़ी की जाल में फंसने के बाद सविता गर्ग ने इसकी शिकायत स्थानीय पुलिस से भी की। कारवाई के नाम पर पुलिस ने सिर्फ खानापूर्ति की। यहां तक की सविता ने नाम बदलकर प्लेसमेंट एजेंसी वालों से बात कर दूसरे पते पर बुलाया भी और उनलोगों को पकड़ा भी लेकिन पुलिस ने कोई कारवाई नही की।

कुछ इसी अंदाज में दिल्ली के रहने वाले बिल्डर दलवीर सिंह का है। दिलवीर सिंह भी ऐसे गिरोह के दो बार शिकार बने। दलवीर की पत्नी किडनी की मरीज है। पत्नी की देखरेख के लिए उन्हें हर वक्त किसी ना किसी जरूरत पड़ती है। दलवीर सिंह के घर पर पहले से सीमा नाम की एक महिला काम करती थी। लेकिन उसे छुट्टी पर जाना था। दलवीर ने उनसे कहां कि वह दूसरी मेड को ला दे। सीमा तुरंत दूसरी मेड को बुला लिया। और एक साथ दो मेड लेकर आई।

दलवीर सिंह ने दोनों को मेड के लिए 42000 हजार रुपए दिए। और एक रजिस्ट्रेशन फार्म भर दिया। फार्म भरने के बाद दलवीर घर से बाहर किसी काम से निकले। दोनों मेड फरार हो गई। काफी पता लगाने के बाद उन दोनों का कुछ पता नही चला। सीमा को जब वो बोले तो वह यह कहकर पल्ला झाड़ने लगी की वे दोनों प्लेसमेंट एजेंसी से आई थी। उनके बार में उसे कोई जानकारी नहीं है। यही नहीं, चार-पांच दिन के बाद सीमा भी भाग गई। उसका कुछ पता नहीं चला।

दलवीर सिंह ने भी मोती नगर थाने में पुलिस में शिकायत तो की लेकिन अब तक कोई कारवाई नहीं हूई। यहां तक कि दलवीर सिंह रजिस्ट्रेशन फार्म पर लिखे पता पर भी गए। लेकिन वहां कोई प्लेसमेंट एजेंसी नहीं थी। इन दोनों वारदातों में काम करने वाली महिला एक ही थी और प्लेसमेंट एजेंसी का पता ठिकाना भी एक ही था। फर्जी नाम पते पर यह गिरोह दिल्ली एनसीआर में कई घरों में सेंध लगा चुका है।

First Published: Tuesday, January 7, 2014, 23:44

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