Last Updated: Tuesday, November 19, 2013, 14:41
वाशिंगटन : विश्व बैंक ने कहा है कि भारत में 60 करोड़ लोग यानी 53 फीसदी भारतीय परिवार खुले में शौच करते हैं तथा शौचालयों की कमी कुपोषण का सबसे बड़ा कारण है। पहले संयुक्त राष्ट्र विश्व शौचालय दिवस की पूर्व संध्या पर कल जारी की गयी रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा है कि साफ सफाई में सुधार बच्चों में प्रज्ञान को बढ़ा सकता है ।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस समय 2. 5 अरब लोग पूरी दुनिया में शौचालयों की कमी का सामना कर रहे हैं, एक अरब लोग खुले में शौच करते हैं और भारत में 60 करोड़ लोग खुले में शौच के आदी हैं। ‘बचपन में साफ सफाई को अपनाने के बच्चों के प्रज्ञान कौशल पर प्रभाव’शीषर्क वाले पत्र के प्रमुख लेखक डीन स्पियर्स ने बताया, हमारा शोध दर्शाता है कि छह साल के ऐसे बच्चे , जिन्हें भारत में जिंदगी के पहले वर्ष में साफ सफाई कार्यक्रम के तहत रखा गया , उनमें अन्य बच्चों के मुकाबले अक्षरों तथा अंकों को पहचानने की क्षमता अधिक थी। पत्र में भारत के संपूर्ण साफ सफाई अभियान के बच्चों के शुरूआती चरण में प्रज्ञान कौशल पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया गया था।
इस शोध के परिणामों में यह भी देखा गया कि खुले में शौच जाने का चलन विकासशील देशों की मानव पूंजी को बहुत बड़ा खतरा है। विश्व बैंक के जल एवं साफ सफाई परियोजना के प्रबंधक जेहयांग सो ने कहा, कई देशों की प्रमुख चुनौतियों का मूल खुले में शौच, साफ सफाई का अभाव आदि है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 19, 2013, 14:41