Last Updated: Friday, November 15, 2013, 13:10
सेवेरोदविंस्क (उत्तर रूस) : रूस के परमाणु पनडुब्बी निर्माण केंद्र सेवमेश शिपयार्ड में विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य को शनिवार को नौसेना शामिल करने के लिए आज रात यहां पहुंचेंगे।
रूस के पूर्व कीव श्रेणी के विमानवाही पोत (पूर्व नाम एडमिरल गोर्शकोव) को भारत को सौंपे जाने के समारोह में रूसी प्रधानमंत्री दमित्रि रोगोजिन तथा दोनों देशों की सरकारों एवं नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद होंगे । इस पोत का परियोजना 114430 के तहत 2.3 अरब डालर की लागत पर उन्नयन किया गया है।
करीब नौ वर्ष की बातचीत के बाद पोत में पुराने पुर्जे हटाकर नये लगाने तथा 16 मिग 29, के-यूबी डेक आधारित लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए वर्ष 2004 में 1.5 अरब डालर का शुरूआती अनुबंध हुआ। 1998 में गतिरोध समाप्त करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री येवगेनी प्रिमाकोव की सरकार ने भारत को मुफ्त में देने की पेशकश की थी बशर्ते वह इसकी मरम्मत और आधुनिकीकरण का खर्चा दे दे।
यद्यपि कार्य के प्रारंभिक मूल्यांकन में जरूरी परिश्रम की कमी के चलते उसकी कीमत काफी बढ़ गई जिससे उसकी मरम्मत और आधुनिकीकरण का काम रूक गया। 44,500 टन वजनी विमानवाही पोत का सौदा द्विपक्षीय संबंधों में एक बड़ी अड़चन बन गया था। वर्ष 2007 के अंत तक दोनों देशों के बीच संबंध गिरकर सबसे निचले स्तर पर पहुंच गये थे जब यह स्पष्ट हो गया था कि रूस पोत की आपूर्ति वर्ष 2008 की समयसीमा तक नहीं करेगा। यद्यपि दोनों देशों ने एक अतिरिक्त समझौता किया जिसके तहत भारत पोत की मरम्मत के लिए अधिक कीमत का भुगतान करने पर सहमत हुआ।
भारतीय अधिकारियों ने निजी चर्चाओं में स्वीकार किया कि बढ़ी कीमत के बावजूद यह एक अच्छा सौदा होगा क्योंकि उसकी तरह का पोत अंतरराष्ट्रीय बाजार में दोगुनी से कम कीमत पर नहीं मिलेगा लेकिन कोई भी विमानवाहक पोत निर्यात के लिए नहीं बनाता।
सेवमेश शिपयार्ड के चीफ डिलीवरी कमिश्नर इगोर लियोनोव ने कहा कि विक्रमादित्य पर लगभग सभी चीज नयी है। लियोनाव ने सेवमेश के जेट्टी पर बातचीत में कहा कि पोत का करीब 40 प्रतिशत पेंदा मूल वाला है बाकी पूरी तरह से नया है।
उन्होंने कहा कि नौसेना ने पोत की मरम्मत और आधुनिकीकरण की पूरी प्रक्रिया के दौरान अपने इंजीनियरों और तकनीशियनों को पोत पर तैनात किये रखा। नौसेना ने कई उपकरणों, पुजरें और पूरी केबलिंग की मरम्मत करने की बजाय उसे बदलने का सही निर्णय किया। लियोनोव विक्रमादित्य की भारत में पश्चिमी तट स्थित करवार स्थित आधार पहुंचने के लिए लगभग दो महीने की यात्रा के दौरान उस पर तैनात गारंटी टीम का नेतृत्व करेंगे। (एजेंसी)
First Published: Friday, November 15, 2013, 13:10