Last Updated: Wednesday, June 4, 2014, 15:11

वाशिंगटन : मानवाधिकारों के मुद्दों को लेकर चीन पर दबाव बनाते हुए अमेरिका ने इस कम्युनिस्ट देश से कहा है कि वह उन सभी कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों को रिहा करे, जिन्हें थ्यानमन स्क्वेयर कार्रवाई की 25वीं बरसी से पहले गिरफ्तार किया गया है।
विदेश मंत्रालय की उपप्रवक्ता मैरी हार्फ ने संवाददाताओं को बताया, हमने चीनी अधिकारियों से स्पष्ट तौर पर आह्वान किया है कि वे उन सभी कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों को रिहा करे, जिन्हें 25वीं बरसी से पहले गिरफ्तार किया गया है। हार्फ ने कहा, चीन एक विकसित होता देश है। उनके आगे बढ़ने के साथ, मुझे लगता है कि उनके अपने देश में चर्चा को थोड़ा और ज्यादा स्थान दिया जाना चाहिए, खासकर इस तरह की बरसी के अवसरों पर। डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता नैंसी पेलोसी ने एक बयान में कहा कि 25 साल बाद थ्यानमन स्क्वेयर की भावना मौजूद है लेकिन चुनौतियां बरकरार हैं।
उन्होंने कहा, चीनी सरकार 4 जून की घटनाओं के किसी भी जिक्र को सेंसर कर देती है। लियू शियाओबो दुनिया के एक मात्र नोबल शांति पुरस्कार प्राप्त व्यक्ति हैं, जो कि अपने अधिकारों के प्रयोग के लिए कैद भोगने का प्रतीक हैं। चीनी अधिकारी कार्यकर्ताओं के परिवारों का दंडभाव के साथ शोषण करते हैं और उन्हें धमकाते हैं। चीन और तिब्बत में मानवाधिकारों की स्थिति लगातार खराब हो रही है। पेलोसी ने कहा, हालांकि बहुत से चीनी लोग थ्यानमन के बारे में सच्चाई नहीं जानते, वे सरकार के अनियंत्रित भ्रष्टाचार को जानते हैं, वे जानते हैं कि कानून का शासन निष्पक्षता के साथ लागू नहीं किया जा रहा, वे जानते हैं कि वायु और जल प्रदूषण उनके स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए खतरा है और वे जानते हैं कि शिकायतों का निवारण न करके उनके साथ अन्याय किया जाता है।
पूर्वी एशियाई और प्रशांत मामलों में विदेशी संबंधों पर सीनेट की उपसमिति के अध्यक्ष सीनेटर बेन कार्डिन ने कहा, इस महत्वपूर्ण बरसी पर हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, इंटरनेट स्वतंत्रता, एकजुट होने की स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों के खिलाफ और धार्मिक एवं सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज उठानी जारी रखनी चाहिए। 4 जून की घटना को चीन के भीतर और दुनिया भर में रहने वाले कई लोगों के इतिहास का दर्दनाक हिस्सा बताते हुए कार्डिन ने कहा कि 25 साल पहले के उस दिन की थ्यानमन चौक की तस्वीरें आज भी यादों में झुलसी हुई हैं।
कार्डिन ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि उन घटनाओं की त्रासदी बीते समय और मौजूद समय के सुधारों के आकलन और चर्चा की नींव हो सकती है, जो इन घटनाओं की पुनर्रावृत्ति न होना सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा, यह बहुत निराशाजनक है कि 25 साल बीत जाने पर भी, ज्यादा प्रगति नहीं हुई है और इन घटनाओं से जुड़े लोग अभी भी शोषण और कैद का सामना कर रहे हैं।
सीईसीसी (कांग्रेशनल-एग्जिक्यूटिव कमीशन ऑन चाइना) के सहअध्यक्ष एवं प्रतिनिधि क्रिस स्मिथ ने कहा, यह बहुत दुखद है कि चीनी सरकार आज 1989 में हुए लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों पर अपनी हिंसक कार्रवाइयों का बचाव यह कहते हुए कर रही है कि ‘उसने जनता के लिए सही रास्ता चुना’। उन्होंने कहा, कुछ लोग थ्यानमन नरसंहार को महत्वहीन बनाने की इच्छा रख सकते हैं लेकिन मरने वालों, जेल जाने वालों,अत्याचार झेलने वालों और उनके अदम्य साहस, दृढ़ता एवं दृष्टि की खातिर हमें लोकतंत्र एवं आजादी के लिए उनकी पवित्र आकांक्षाओं का सम्मान करना चाहिए।
उन्होंने कहा, छात्रों के विरोध की आवाज पर खूनी कार्रवाई की 25वीं बरसी पर, अमेरिकी विदेश नीति एवं चीन के साथ जुड़ाव में मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को अपनी शीर्ष प्राथमिकता बनाने के अपने प्रयासों को दोबारा प्रेरित करना चाहिए और इनमें दोबारा उर्जा भरनी चाहिए। कांग्रेस सदस्य फ्रैंक आर वोल्फ ने कहा, आज लगभग हर मायने में, चीन हमेशा की तरह विरोध की आवाज के प्रति असहिष्णु रहा है। थ्यानमन की 25वीं बरसी के साथ प्रशासन ऐसे कई कदम उठा सकता है, जो प्रतीकात्मक होने के साथ-साथ मूर्त भी हों। इससे चीनी जनता को यह संदेश दिया जा सकता है कि उनके संघर्ष भुलाए नहीं गए हैं।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, June 4, 2014, 15:11