Last Updated: Monday, October 21, 2013, 14:12

न्यूयार्क : राष्ट्रपति शी चिनफिंग के कार्यकाल के दौरान क्षेत्र में समरसता और एकता स्थापित करने की दिशा में कुछ ‘बदलाव के संकेत’ की उम्मीद जाहिर करते हुए तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने कहा है कि चीन के नए नेतृत्व को ‘कामन सेंस’ का इस्तेमाल कर तथ्यों से सचाई का पता लगाना चाहिए।
अहिंसा का महत्व विषय पर दलाई लामा ने रविवार को यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए अपने सैंकड़ों अनुयायियों को बताया कि वह अवसर आने पर चीनी सरकार से बात करना चाहेंगे। उन्होंने साथ ही इस बात पर जोर दिया कि तिब्बती चीन से आजादी नहीं चाहते हैं बल्कि वे असली स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं।
तिब्बत की स्वायत्तता को तिब्बत और चीन दोनों के लिए लाभदायक बताते हुए 78 वर्षीय दलाई लामा ने कहा कि वह अलग तिब्बत की मांग नहीं कर रहे हैं बल्कि एक ऐसा तिब्बत चाहते हैं जो चीन के भीतर ही हो। हांगकांग या मकाउ की तर्ज पर तिब्बती स्वायत्तता के अपने माडल का जिक्र करते हुए दलाई लामा ने कहा कि मध्यम मार्ग सभी के हित में है। इस माडल के तहत राजनीतिक और आर्थिक स्वायत्तता प्रदान की गई है।
उन्होंने कहा कि हम आधुनिक तिब्बत चाहते हैं। हमें सार्थक स्वायत्तता प्रदान करो ताकि हम तिब्बती की संस्कृति, भाषा और परंपरा का संरक्षण कर सकें। तिब्बती-बौद्ध संस्कृति का संरक्षण चीनी बौद्धों के हित में भी है। उन्होंने साथ ही कहा कि तिब्बती पारिस्थितिकी का संरक्षण न केवल तिब्बतियों बल्कि चीन , भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हित में भी है। दलाई लामा ने कहा कि भारत और अमेरिका समेत तिब्बती पूरी दुनिया में ‘पूर्ण आजादी’ की मांग करते रहे हैं लेकिन उन्हें नहीं पता कि इसे कैसे हासिल किया जाए। उन्होंने कहा कि हमें सचाई को देखना होगा। तथ्यों से सच निकालना होगा। (एजेंसी)
First Published: Monday, October 21, 2013, 14:12