राष्ट्रमंडल को और मुखर होना चाहिए : लॉर्ड पॉल

राष्ट्रमंडल को और मुखर होना चाहिए : लॉर्ड पॉल

लंदन : श्रीलंका में अगले महीने होने वाले राष्ट्रमंडल देशों के सम्मेलन से पहले लॉर्ड स्वराज पॉल ने कहा कि राष्ट्रमंडल देशों को अपने राजनयिक प्रयासों में और अधिक मुखर होना चाहिए और खुद को हाशिए पर पहुंचने से बचाने के लिए इसमें बदलाव अनुकूलन और प्रगति की आवश्यकता है।

श्रीलंका में होने वाली राष्ट्रमंडल देशों के प्रमुखों की बैठक से पहले हाउस ऑफ लॉर्डस में ‘राष्ट्रमंडल का भविष्य’ विषय पर आयोजित बैठक में लॉर्ड पॉल ने इसे एक ‘अद्वितीय’ और ‘बहुमुल्य धरोहर’ करार दिया, जो अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के समाधान में ‘अधिक कारगर’ साबित हो सकता है।

राष्ट्रमंडल को अपने विकास के एक रोचक क्षण में बताते हुए लॉर्ड पॉल ने कहा, ‘अपने मिशन को जारी रखने के लिए इसमें बदलाव अनुकूलन एवं प्रगति की जरूरत है। अगर यह नहीं हुआ, तो यह अप्रासंगिक होने के साथ ही हाशिए पर चला जाएगा।’

कोलंबो में 15-17 नवंबर को होने वाले सम्मेलन से पहले पॉल ने कहा, ‘इसका प्रतिष्ठित रिकार्ड इसके इस भाग्य के लायक नहीं है और मुझे उम्मीद है कि अगले महीने होने वाली बैठक में इस पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।’ इस शीर्ष अप्रवासी भारतीय उद्योगपति ने कहा कि आज कल अंतरराष्ट्रीय विचारों का देशों के रवैये पर प्रभाव पड़ने लगा है। यह अगले महीने होने वाली इस बैठक के मेजबान देश श्रीलंका के हालात से जाहिर होता है।

उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैं मानता हूं कि राष्ट्रमंडल देशों को अपने राजनयिक प्रयासों में और अधिक मुखर होने के लिए संयुक्त प्रयास करने का उचित समय है।’ गौरतलब है कि ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमंस की विदेश मामलों की समिति ने ब्रिटिश सरकार पर श्रीलंका में जारी मानवाधिकार उल्लंघन के बावजूद उस देश के प्रति ढुलमुल और असंगत नीति अपनाने का आरोप लगाया था और पॉल की यह टिप्पणी इन आरोपों के कुछ ही घंटों बाद आयी है।

ब्रिटेन की दो विश्वविद्यालयों, वेस्टमिंस्टर और वोल्वरहैम्पटन के कुलपति पॉल ने राष्ट्रमंडल देशों की बैठक में ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधिमंडल से शांति, न्याय और स्वतंत्रता में राष्ट्रमंडल के अधिक प्रभावी योगदान के लिए अन्य देशों के साथ समझौते करते समय में इन व्यवस्थाओं पर विचार करने का आग्रह किया है। (एजेंसी)

First Published: Friday, October 18, 2013, 16:12

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