Last Updated: Wednesday, January 1, 2014, 10:33

वाशिंगटन : अमेरिका ने कहा है कि दुनिया भर में उसके दूतावासों के कर्मचारियों का वेतन स्थानीय नियमों के अनुरूप होता है। विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि विदेशों में अमेरिकी अभियानों में तैनात स्थानीय कर्मचारियों के लिए मुआवजे की योजनाएं उस स्थान पर प्रचलित वेतन दरों और मुआवजा नियमों के अनुरूप होती है। प्रवक्ता ने ये बातें उस सवाल के जवाब में कहीं, जिसमें उनसे पूछा गया था कि क्या अमेरिकी दूतावास स्थानीय वेतन कानूनों को मानता है।
भारत में अमेरिकी दूतावास और वाणिज्य दूतावास के कर्मचारियों को दिए जा रहे वेतन का मुद्दा उस समय उठा जब वरिष्ठ भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को उसकी नौकरानी संगीता रिचर्ड के वीजा आवेदन में झूठी घोषणाएं करने के आरोप में 12 दिसंबर को न्यूयॉर्क में गिरफ्तार किया गया।
इसके बाद उनकी कपड़े उतारकर तलाशी ली गई और नशीले पदार्थों के आदी तथा अन्य अपराधियों के साथ उन्हें जेल में रखा गया। अमेरिका के इस कदम से भारत व अमेरिका के बीच तनाव पैदा हो गया। 39 वर्षीय खोबरागड़े को 2.5 लाख डॉलर के बॉण्ड पर रिहा किया गया था। खोबरागड़े की गिरफ्तारी के बाद भारत ने नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास और दूसरे अमेरिकी राजनयिक अभियानों में कार्यरत भारतीयों के वेतनों का ब्यौरा मांगा था। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, अमेरिकी दूतावासों में काम करने वाले भारतीय कर्मचारियों (रसोईयों व चालकों समेत) को 12 हजार से 15 हजार रुपये (200 डॉलर से 250 डॉलर) दिए जाते हैं, जो न्यूयॉर्क या किसी अन्य अमेरिकी शहर में प्रति घंटे की 9.47 डॉलर की न्यूनतम तनख्वाह से बहुत कम है।
हालांकि अमेरिकी दूतावास से जुड़े लोगों का मानना है कि भारत में नकारात्मक खबरों के बावजूद दूतावास स्थानीय कर्मचारियों को मुआवजा देने के मामले में उदार है।
First Published: Wednesday, January 1, 2014, 10:33