Last Updated: Sunday, February 16, 2014, 18:43

कंधार : द्विपक्षीय सुरक्षा सहमति पर ओबामा प्रशासन से मतभेदों के बीच अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने अमेरिका और उसके सहयोगी देशों से कहा है कि उनके देश के महत्वपूर्ण राष्ट्रपति चुनावों में हस्तक्षेप नहीं करें। अफगानिस्तान में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों ने 2 फरवरी को चुनाव के लिए दो महीने के अभियान की शुरूआत की। अमेरिका और उसके सहयोगी उम्मीद करते हैं कि देश में 13 साल तक संघर्ष के हालात के बाद अमेरिका नीत बलों के अफगानिस्तान छोड़ने से पहले होने वाले इन चुनावों से स्थिरता आएगी। 56 वर्षीय करजई ने कहा कि उनकी सरकार 5 अप्रैल को निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करेगी।
उन्होंने अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर में कल कहा, निश्चित रूप से हमारी तरफ से यह पारदर्शी और निष्पक्ष होगा और ऐसी ही अफगानिस्तान को जरूरत है और मैं यह उम्मीद भी करता हूं कि अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगी दखलंदाजी से बचेंगे और अफगान नागरिकों को मतदान करने तथा अपना राष्ट्रपति चुनने देंगे। करजई ने भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के साथ अफगानिस्तान के पहले कृषि विश्वविद्यालय का उद्घाटन संयुक्त रूप से करने के बाद यह बात कही। विश्वविद्यालय का निर्माण भारतीय मदद से किया गया है।
करजई तीसरी बार राष्ट्रपति पद की दौड़ में नहीं हैं। राष्ट्रपति पद की दौड़ में उनके बड़े भाई कयूम करजई, पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला अब्दुल्ला और पूर्व इस्लामिस्ट अब्दुल रसूल सयाफ हैं। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा सुरक्षा सहमति पर दस्तखत करने से इनकार करने की वजह से अमेरिका से रिश्तों में खटास आ गयी है। करजई ने पिछले गुरूवार को काबुल के पास बगराम में अमेरिका की एक पूर्व जेल से 65 तालिबान आतंकवादियों को रिहा करके तनाव को और बढ़ा दिया। अफगानिस्तान में अमेरिका नीत लड़ाकू अभियान इस साल के आखिर में समाप्त हो सकते हैं लेकिन ओबामा प्रशासन आतंकवाद निरोधक मिशनों के लिए 10,000 और जवानों को उतारने की बात कर रहा है। करजई ने अमेरिका के साथ द्विपक्षीय सुरक्षा सहमति पर दस्तखत नहीं करने के अपने रख पर सफाई भी दी।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं 2014 के बाद अफगानिस्तान में नाटो सैनिकों की सीमित मौजूदगी के खिलाफ नहीं हूं। हमारी मांग है कि उनकी मौजूदगी अफगानिस्तान के लिए सहयोग का स्रोत बननी चाहिए। एक ऐसा स्थिर अफगानिस्तान जहां पिछले 10 साल की तरह की घटनाएं नहीं हों।’’ करजई ने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान को शांति प्रक्रिया पर आगे बढ़ने के लिए अमेरिका और पाकिस्तान दोनों का सहयोग चाहिए।
राष्ट्रपति द्वारा गुप्त तरीकों से तालिबान के साथ संवाद के माध्यम खोजने संबंधी खबरों पर उन्होंने कहा कि साझेदारी के सभी अवसर तलाशना महत्वपूर्ण होगा। करजई ने कहा, ‘‘अफगान उच्च शांति परिषद का काम तालिबान के साथ शांति वार्ता में शामिल होना और इस तरह की साझेदारी के सभी विकल्प, सभी रास्ते तलाशना है और यह अमेरिका और नाटो के लिए भी खुशी की बात होनी चाहिए। उनकी तरफ से यह सकारात्मक खबर होनी चाहिए।’’ तालिबान ने कल अफगानिस्तान से सोवियत की मौजूदगी समाप्त होने की 25वीं बरसी मनाई। इस संबंध में करजई ने कहा, ‘‘आप जो खबरें पढ़ रहे हैं, वह अलग तरह की कहानी है।’’ करजई ने पाकिस्तानी तालिबान के साथ बातचीत करने के पाक सरकार के प्रयासों का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि पाकिस्तान यह बात भी मानेगा कि अफगान तालिबान भी अफगान सरकार के साथ बातचीत शुरू करे, इस दिशा में मदद करना उसके हित में होगा। (एजेंसी)
First Published: Sunday, February 16, 2014, 18:41