राष्ट्रमंडल को सजा देने वाला निकाय नहीं बनाया जाए: राजपक्षे

राष्ट्रमंडल को सजा देने वाला निकाय नहीं बनाया जाए: राजपक्षे

राष्ट्रमंडल को सजा देने वाला निकाय नहीं बनाया जाए: राजपक्षेकोलंबो : राष्ट्रमंडल राष्ट्राध्यक्षों की बैठक (चोगम) शुक्रवार को श्रीलंका के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की पृष्ठभूमि में शुरू हुई और पहले दिन मेजबान राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने इन आरोपों को दरकिनार करने का प्रयास करते हुए कहा कि राष्ट्रमंडल को ‘‘सजा देने वाले और फैसला सुनाने वाले’’ निकाय के रूप में नहीं बदला जाना चाहिए।

राजपक्षे ने शिखर बैठक में शासनाध्यक्षों और विदेश मंत्रियों का स्वागत करते हुए श्रीलंका के आर्थिक विकास और गरीबी के खात्मे जैसे मुद्दों पर राष्ट्रमंडल देशों के साथ रचनात्मक सहयोग की अपील की।

श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने 53 देशों के समूह की शिखर बैठक में अपनी शुरुआती टिप्पणियों में कहा, ‘‘अगर राष्ट्रमंडल को प्रासंगिक रहना है तो संगठन के सदस्य देशों को राष्ट्रमंडल परंपराओं के खिलाफ निकाय में द्विपक्षीय एजेंडा ला कर इसे सजा देने वाले और फैसला सुनाने वाले निकाय में रूपांतरित नहीं करना चाहिये बल्कि अपने अवाम की जरूरतों को पूरा करने के लिये कदम उठाना चाहिए।’’

विदेश मंत्री खुर्शीद और ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड तथा कई देशों के नेता उद्घाटन समारोह में मौजूद थे। राजपक्षे ने कहा, ‘‘राष्ट्रमंडल को आदेशात्मक एवं विभाजनकारी तौर-तरीकों में संलग्न होने की बजाय सहयोगात्मक एकता में शिरकत का एक सच्चा और अनूठा संगठन बनाएं।’’

तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टियों के कड़े विरोध के मद्देनजर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बैठक में शिरकत करने की अपनी योजना रद्द कर दी और भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद कर रहे हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर के संसदीय सचिव एवं प्रतिनिधि दीपक ओभ्राय और मारिशस के विदेश मंत्री अरुण बुलेल भी वहां मौजूद थे।

हार्पर और मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन चंद्र रामगुलाम ने श्रीलंका के खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड के मुद्दे पर शिखर सम्मेलन के बहिष्कार का फैसला किया है। मॉरीशस अगली शिखर बैठक की मेजबानी करेगा।

प्रिंस चार्ल्स और राष्ट्रमंडल के निवर्तमान अध्यक्ष आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबोट भी इस मौके पर मौजूद थे। प्रिंस चार्ल्स अपनी 87 वर्षीय मां महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

राजपक्षे ने शिखर बैठक की मेजबानी के लिए श्रीलंका पर विश्वास जताने का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि यह उन्हें अपने देश की सेवा करने और उसे विकास की राह पर ले जाने में उनकी मदद करेगा।

श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 30 साल आतंकवाद से जूझने के बाद उनका देश शांति और स्थिरता का लाभ उठा रहा है।

राजपक्षे का कहना था कि अपने अवाम के जीवन के अधिकार के पक्ष में खड़ा हो कर मानवाधिकार के प्रति श्रीलंका का शानदार रिकार्ड है। श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने श्रोताओं की तालियों के बीच कहा, ‘‘पिछले चार साल के दौरान श्रीलंका में कहीं भी आतंकवाद की एक घटना तक नहीं हुई है।’’ (एजेंसी)

First Published: Friday, November 15, 2013, 18:58

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